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सकारात्मक सोच, धैर्य और संयम व्यक्ति के जीवन को स्पष्टता, संतुलन और सफलता की ओर ले जाते हैं, जबकि क्रोध, अहंकार और लोभ जैसे भाव उसे भटका देते हैं। स्वयं पर विश्वास कर निरंतर प्रयास करने वाला व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ता है और समाज में सम्मान प्राप्त करता है।
सुनील कुमार माथुर
आज इंसान बात-बात पर क्रोध करता है और कई बार वह क्रोध में ऐसे कदम उठा लेता है कि बाद में उसे अपने किए पर ही पछतावा होता है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। अतः व्यक्ति को जीवन में धैर्य और संयम रखना चाहिए। बात-बात पर क्रोध अपना ही नुकसान करता है और इससे कई बार अपने परिवारजनों व मित्रों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है। अतः व्यक्ति को क्रोध में आकर कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए कि बाद में पछताना पड़े। काम, क्रोध, लोभ-लालच, राग-द्वेष, अहंकार और घमंड उस मटमैले गंदे पानी की तरह हैं जो हिल रहा है और उसमें हम कुछ ढूंढना चाहें तो हमें उसमें कुछ भी दिखाई नहीं देता है, लेकिन जब वही मटमैला गंदा पानी स्थिर व शांत हो जाता है तो उसमें हमें सब कुछ साफ दिखाई देने लगता है, क्योंकि अब उसका धुंधलापन मिट चुका है और वह स्थिर व शांत हो गया है।
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कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति को हमेशा हर परिस्थिति में समान बने रहना चाहिए और धैर्य व संयम बनाए रखना चाहिए तथा सही समय के आने का इंतजार करना चाहिए। लोभ, लालच, राग-द्वेष, अहंकार व घमंड ये मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु हैं। जो इनसे संबंध बनाए रखता है वह जीवन में कभी प्रगति नहीं कर सकता, और संबंध बना भी लेता है तो उसे सदा मुंह की खानी पड़ती है। धैर्यवान व्यक्ति जीवन में सदैव सकारात्मक सोच रखता है और हर परिस्थिति में समान बना रहता है। यही उसके जीवन में सफलता पाने का मूल मंत्र है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान मशीनरी जीवन व्यतीत कर रहा है और खुद पर भरोसा करने के बजाय दूसरों पर अधिक भरोसा कर रहा है, जिसकी वजह से वह हताशा का जीवन जी रहा है। क्योंकि जिस पर भी वह भरोसा करता है वही उसे दगा देता है, धोखा करता है। अतः जीवन में कुछ करने की ठान ली है तो सबसे पहले स्वयं पर विश्वास करना सीखें और फिर आगे बढ़ें। यह बात सही है कि दूसरों पर विश्वास होना चाहिए, लेकिन इतना भी नहीं कि हम हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहें।
अगर आप हर बात के लिए दूसरों पर निर्भर रहने लगेंगे तो जनता आपको कभी भी धोखा देने में देर नहीं करेगी और आप प्रगति की दौड़ में पिछड़ जाएंगे। जो अपने आप पर विश्वास करता है वही जीवन में आगे बढ़ता है और प्रगति के मार्ग पर आसानी से चल सकता है। खुद पर भरोसा रखने से ही हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और हमें हिम्मत मिलती है। जीवन में खुद पर भरोसा रखें और अपने व्यवहार को नम्र बनाए रखें। अपने से बड़ों की बातों को सुनें, क्योंकि उनके अनुभव आपके लिए लाभप्रद साबित होंगे। वहीं दूसरी ओर आपके सामाजिक वर्चस्व में वृद्धि होगी। हमेशा नए संबंध बनाने की शुरुआत जारी रखें और सही लोगों से ही संबंध बनाए रखें, अन्यथा गलत लोगों से संबंध बनेंगे तो नुकसान आपका ही होगा।
जब आप खुद पर भरोसा रखेंगे तो आपको जहां कार्य का अनुभव होगा, वहीं दूसरी ओर कार्य में सफलता मिलने पर आपको समाज में मान-सम्मान, यश एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। कारोबार कैसा भी हो, वह हमेशा मेहनत के बल पर ही आगे बढ़ता है। अतः कार्य के साथ-साथ अपनी कला व हुनर को निखारते रहना चाहिए, क्योंकि अपने व्यवहार करने के तरीके और कार्यशैली से ही आप सभी का दिल जीत सकते हैं। नई योजनाएं समय-समय पर बनाते रहें और वाणी पर नियंत्रण रखें, तभी सभी योजनाएं समय पर पूरी हो पाएंगी।
मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। एकमात्र मेहनत ही सफलता की कुंजी है। हमें बेस्ट नहीं, बेटर बनना है ताकि निरंतर कोशिशों से खुद को निखारा जा सके। हमेशा कार्य ऐसा करें जो दूसरों के काम आए। हमेशा समाज और राष्ट्र की तरक्की व उत्थान के लिए मिलजुलकर निरंतर कार्य करते रहना चाहिए।
हमारे संतों व महापुरुषों का कहना है कि जीवन में कोई भी परेशानी आपकी हिम्मत से बड़ी नहीं है। आनंद वहां नहीं होता जहां धन मिले; आनंद तो वहां होता है जहां मन मिले। ईश्वर सदा हमारे आसपास ही होते हैं, अतः उन्हें ढूंढने की नहीं, अपितु पहचानने की आवश्यकता है। मुफ्त में तो सिर्फ माता-पिता का प्यार व स्नेह ही मिलता है। इसके बाद दुनिया के हर रिश्ते के लिए कुछ न कुछ चुकाना ही पड़ता है। कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति को जीवन में हमेशा खुद पर भरोसा रखना चाहिए और यही भरोसा हमारी सफलता की सबसे बड़ी शक्ति है, जिसे जीवनभर बनाए रखना चाहिए।
सुनील कुमार माथुर
सदस्य अणुव्रत लेखक मंच, (स्वतंत्र लेखक व पत्रकार) जोधपुर, राजस्थान








