साहित्य लहर
कविता : तेरे इशारे का इन्तज़ार है…
राजेश ध्यानी सागर
तेरे इशारे का
इन्तज़ार है,
कहूं तो
दो कदम दूर है
कहीं कदम ठहर
ना जाये,
इशारा धरा
ना रह जाये
मना ले मन को
इतना सोचना
क्यूं है ,
कहीं ये समय
निकल ना जाये।
पूरे हो जायेगें
अरमान अपने ,
कही ऐसा ना हो
ये राह
बदल जाये।
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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