कविता : आज का समाज
दहेज के लिए गयी बहु जलाई, दहेज कि देवी मुस्कुराई। अमीर को पैसा रिझा रहा है, गरीब बिचारा पिसा रहा है, और क्या कहूँ, भ्रष्टाचार का राज है, #सिद्धार्थ राय, दून इण्टरनेशनल स्कूल, देहरादून
यह आज का समाज है,
होता यहा ना काम काज है।
कुर्सी की हर ओर लाड़ाई,
नेताओं ने होड़ लगायी,
बन्द हो गये प्रकृित के दरवाजे,
अब होंगे उन पर नेता विराजे,
रिश्वत के बिना काम न होता,
मध्यम वर्गीय इन्सान है रोता,
दहेज के लिए गयी बहु जलाई,
दहेज कि देवी मुस्कुराई।
अमीर को पैसा रिझा रहा है,
गरीब बिचारा पिसा रहा है,
और क्या कहूँ, भ्रष्टाचार का राज है,
यही आज का समाज है।
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