कविता : लेखनी का कमाल

सुनील कुमार माथुर
साहित्यकार की लेखनी जब चलती हैं तब
वह सदा सत्य ही लिखती है चूंकि
वह कलम कोई साधारण कलम नहीं हैं
मां सरस्वती की कलम कहलाती हैं
जैसा देखा वैसा ही वह लिखती जाती है
सत्य से उसे सदा प्रेम रहा हैं अतः
झूठ को सत्य कहना उसे नही़ आता हैं
मेरी लेखनी से अगर तुम डरते हो तो
सत्य के मार्ग पर आ जाओं
इस लेखनी की धार तलवार से भी तेज हैं अतः
अपनी घिनौनी हरकतों से बाज आ जाओं
सत्य सत्य ही यह तुम जान लों
सत्य लेखन से तुम क्यों घबराते हों
यह माथुर की लेखनी है
चापलूसी करना यह नहीं जानती
यह लेखनी का कमाल है जो सत्य ही लिखती हैं
भ्रष्ट लोगो का यह भंडाफोड करती हैं चूंकि
यह मां सरस्वती की कलम कहलाती है
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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Nice
अच्छी कविता है। वैसे भी कलम की ताक़त सब जानते है जो तलवारसे भी तेज होती है।
Nice poem
Nice👍
Nice