कविता : जय गणपति विघ्न विनाशक
भुवन बिष्ट
जय जय हे गणपति महाराज, सदा रखना प्रभु लाज हमारी।
हे विघ्न विनाशक जय लम्बोदर, प्रभु आये हैं हम शरण तुम्हारी।
रिद्धि सिद्धि संग सदा विराजे, वंदन करूँ सदा मैं जय जयकार।
सफल करो हर काज प्रभु तुम, हर भक्त कर रहा है यही पुकार।
प्रथम पूजते देव गणपति सदा, जय प्रभु जगत के पालनहार।
विघ्न हरो हर पथ से प्रभु तुम, आये भक्त शरण तुम्हारे द्वार।
लडूवन का सदा भोग लगायें, जय जय प्रभु गज मुख धारी।
जय जय हे गणपति महाराज, सदा रखना प्रभु लाज हमारी।
हे विघ्न विनाशक जय लम्बोदर, प्रभु आये हैं हम शरण तुम्हारी।….
माता गौरी प्रभु शंकर के लाला, गणपति करते दुष्टो का संहार।
सच्चे मन से जो शरण है आता, प्रभु गणेश भरते हैं सदा भंडार।
शुभ काम से पहले नाम गजानन, विघ्न हरते सुफल करते हैं काज।
ज्ञान का प्रभु दीप जलाओ, हम विनती चरणों में करते आज।
सुर नर मुनि जन ज्ञानी पूजे, करते हैं गणपति मूषक सवारी।
जय जय हे गणपति महाराज, सदा रखना प्रभु लाज हमारी।
हे विघ्न विनाशक जय लम्बोदर, प्रभु आये हैं हम शरण तुम्हारी।….
एकदन्त प्रभु दया के सागर, हर भक्त का करते वेणा पार।
साहस हर पथ पर मिल जाता, विघ्न हरते गजानंन करते उद्धार।
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कृपा बरसाओ जय जय विनायक, सद्बुद्धि का प्रभु सदा भरना भंडार।
शुभ लाभ विराजे संग तुम्हारे, प्रभु गणपति हर घर घर में पधारो।
बिगड़ी बना दो विपदा हर लो, अर्पण यह जीवन प्रभु इसे सँवारो।
करूँ चरण वंदना शीश झुकाऊं, सदा आरती गायें जग के नर नारी।
सुखदाता प्रभु तुम हो दुःखहर्ता, जय गणेश एकदन्त चार भुजा धारी।
जय जय हे गणपति महाराज, सदा रखना प्रभु तुम लाज हमारी।
हे विघ्न विनाशक जय लम्बोदर, प्रभु आये हैं हम सब शरण तुम्हारी।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »भुवन बिष्टलेखक एवं कविAddress »रानीखेत (उत्तराखंड)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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