साहित्य लहर
कविता : जगमग-जगमग दीप जले
सुनील कुमार
जगमग-जगमग दीप जले हाथों में पूजा की थाली हो
मां लक्ष्मी की कृपा बरसे हर आंगन खुशहाली हो।
सुख ही सुख हो जीवन में दुःखों की रात न काली हो
जगमग-जगमग दीप जले हर आंगन खुशहाली हो।
न रहे कोई भूखा-नंगा भोजन से भरी हर थाली हो
जगमग-जगमग दीप जले हर आंगन खुशहाली हो।
धन-दौलत से भरी हो झोली जेब कभी न खाली हो
जगमग-जगमग दीप जले हर आंगन खुशहाली हो।
होठों पर हो गीत खुशी के झूमे-नाचे हर प्राणी हो
जगमग-जगमग दीप जले हर आंगन खुशहाली हो।
फूल खिलें खुशियों के महके जीवन फुलवारी हो
जगमग-जगमग दीप जले हर आंगन खुशहाली हो।
कामनाएं सभी हो जाएं पूरी आश कोई न अधूरी हो
जगमग-जगमग दीप जले हर आंगन खुशहाली हो।
हर दिन हो रंग-बिरंगी होली हर रात नई दिवाली हो
जगमग-जगमग दीप जले हर आंगन खुशहाली हो।
प्रेम भाव हो जन- जन में जीवन वैभवशाली हो
सुखमय हो जीवन सबका हर आंगन खुशहाली हो।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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