साहित्य लहर
कविता : नारी

कविता : नारी… हर युग में नारी भारी है। असुरों का अत्याचार बढ़ा तब नारी ने संधारी है, नारी जननी सृष्टि कर्ता अद्भुत शक्तिशाली है। तुम बलशाली भले बनो पर कोंख में तुमको पाली है, गौरव-गरिमा की अधिकारी, #डॉ उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार
प्रकृति की श्रेष्ठ कृति में
नारी सबसे प्यारी है,
युग परिवर्तन होता आया
आगे भी यह जारी है।
नारी ममता, त्याग, तपस्या
महिमा बहुत हीं न्यारी है,
मन में सोचो और विचारों
हर युग में नारी भारी है।
असुरों का अत्याचार बढ़ा
तब नारी ने संधारी है,
नारी जननी सृष्टि कर्ता
अद्भुत शक्तिशाली है।
तुम बलशाली भले बनो
पर कोंख में तुमको पाली है,
गौरव-गरिमा की अधिकारी
सृष्टि में बस एक नारी है।