कविता : जाड़े की सुबह
राजीव कुमार झा
प्यार का वह दिन
सही सलामत रहे
यादगारे जिंदगानी
सफर ए मुहब्बत
सबकी बयानी
रोशनी सूराखों से
जाड़े की सुबह
जब पास आती
धूप आकाश के
उसी कोने इठलाती
जंगल के बीच से
नदी खामोश
गुजर जाती
कलकल बहती
नदी की कहानी
चैत की धूप
हरेभरे पेड़ों पर
हंसती सयानी
तुम्हारी तीखी
नजर में नया दिन
बाग बगीचों में
उमग रहा
फल फूलों की
गंध
हर तरफ छायी
कोयल
कुहू कुहू कर
उठी
प्यास से भरा मन
तुम्हारी यादों को
समेटे
वीरान होता गया
यह मौसम कैसे
बीत रहा
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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