कविता : सच सच कह दिया
कविता : सच सच कह दिया, जाग कर चांदनी रातों में खत जो लिखे। ख्याल मन में जो आया सच सच कह दिया।। काबिल हुए जब सब समझने वाले। कुछ न देखा उसका सच सच कह दिया।। मैं भला क्यों छुपाऊंगा किसी से कुछ। बैजनाथ, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश से सुदेश दीक्षित की कलम से…
जो सुना, देखा, समझा सच सच कह दिया।
मैं पकड़ा ग्वाह़ नहीं था सच सच कह दिया।।
मैंने दर्द छुपाया नहीं सच सच कह डाला।
मैं चिंगारी तू है शोला सच सच कह दिया।।
जाग कर चांदनी रातों में खत जो लिखे।
ख्याल मन में जो आया सच सच कह दिया।।
काबिल हुए जब सब समझने वाले।
कुछ न देखा उसका सच सच कह दिया।।
मैं भला क्यों छुपाऊंगा किसी से कुछ।
जो देखा आंखों में सच सच कह दिया।।
मनाने के यत्न ख़त्म हो गए तो मैंने।
जा हो भला तेरा मैंने भी सच सच कह दिया।।
और इससे ज्यादा तबाह क्या होगा “दीक्षित”।
जो सच था वही सच सच कह दिया।।
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