साहित्य लहर
कविता : बसंत

डॉ उषाकिरण श्रीवास्तव, मुजफ्फरपुर, बिहार
हवा बसंती बहुत निराली
तन-मन में स्फूर्ति जगाती,
कितना सुन्दर मौसम आया
पेडों में नव-जीवन लाया।
पतझड़ भी लाया है बसंत
नये-नये कोंपलें भी आया,
मौसम कितना सुन्दर है
कण-कण में हरियाली है
राजु सुबह में दौड़ लगाता
अपने तन को स्वस्थ बनाता,
तुम भी सुबह में दौड़ लगाओ
स्वस्थ और सुंदर तन-मन पाओ।