साहित्य लहर
कविता : जिंदगी की छांव

राजीव कुमार झा
यादों के भंवर में
डूबते उतराते
प्यार के दिन याद आते
उनके पास जब कभी
जाते
जिंदगी की छांव में
गीत गाते
तुम्हें अपने पास
हम उस दिन बुलाते।
प्यार की दुनिया में
तुम गुमनाम होती गयी।
यादों के भंवर में
कभी किसी दिन
रात भर हरसिंगार
महकने लगी।
प्यार की धूप के
कभी पास आना
जिंदगी की गलियों में
सुबह का गूंजता तराना
अक्सर
तुम करती बहाना
सपनों से
रात में घर आंगन को
सजाना।