साहित्य लहर
कविता : सात समंदर
कविता : सात समंदर, तुम सलमा सितारों से सजी उसकी याद आते तुम्हारी हंसी सात समंदर में गूंजने लगी आज मौन होकर तुम लहर बनकर तट पर दस्तक दे रही #राजीव कुमार झा
तुम्हारी मासूमियत से
सबकी अदाएं फीकी
हो जातीं
बरसात के बाद
धरती का दामन सुहाना
हो उठा
अरी सुंदरी
शाम के धुंधलके में
चांद हंसने लगा
रात की चुप्पी में कोहिनूर
चमक उठा
पत्र-पत्रिकाओं की महत्ता सदैव बनी रहेगी : माथुर
तुम सलमा सितारों से
सजी
उसकी याद आते
तुम्हारी हंसी
सात समंदर में गूंजने लगी
आज मौन होकर
तुम लहर बनकर तट पर
दस्तक दे रही
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