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इस रोज़ भूलकर भी कोई घर अकेला न छोड़े, मिट्टी के दीपक और हीड कुम्हार से लेकर रखें। छोटी दिवाली आज है और ये दिन भी है ख़ास, मुख्य गेट के दोनों ओर तेल दीप जलाकर रखें।।
गणपत लाल उदय, अजमेर (राजस्थान)
दिवाली के एक दिन पहले आती छोटी दिवाली,
रूप चतुर्दशी नरक चतुर्दशी कहते चौदस काली।
नरका पूजा के नाम से भी जानते हैं हम इसको,
चौमुखा दीप रोली गुड़ खीर से सजाते हैं थाली।।
इस दिन सायं के समय चारों तरफ़ दीप जलाते,
विधि विधान से कृष्ण भगवान का पूजन करते।
कई कथाएं हैं प्रचलित इस पर प्राचीन समय से,
नरकासुर का वध भी कन्हैया इस दिन किए थे।।
इस दिन जो भी हरि विष्णु का व्रत पूजन करता,
अपने आपको स्वस्थ रूपवान वह व्यक्ति पाता।
हर वर्ष ये कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष में आता,
जो धूम-धाम हर्षोल्लास के संग मनाया जाता।।
इस रोज़ भूलकर भी कोई घर अकेला न छोड़े,
मिट्टी के दीपक और हीड कुम्हार से लेकर रखें।
छोटी दिवाली आज है और ये दिन भी है ख़ास,
मुख्य गेट के दोनों ओर तेल दीप जलाकर रखें।।
दक्षिण दिशा की तरफ़ चौदह दीप जलाए जाते,
यम देवता की पूजा कर धूप-अगरबत्ती जलाते।
अकाल मृत्यु से मुक्ति व स्वास्थ्य लाभ हम पाते,
कई परंपरा के संग-संग नरक चतुर्दशी मनाते।।









