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साहित्य लहर

कविता : हे इंसान सावधान हो जा

सुनील कुमार माथुर

मकडी ने जाला बनाकर
उसमें कीड़े मकोडो को फंसाकर
अपना भोजन बनाया
कलमकारों ने शब्दों का ताना बाना बनकर

शब्दों का जाल बिछाया और
शहद में डूबी लेखनी से
शब्दों को माला के रूप में पिरोया
विचारों को जन जन तक पंहुचा कर

अपना नैतिक धर्म निभाया लेकिन
इस इंसान ने एक दूसरे में फूट डालकर
सभी को एक दूसरे से लडाया और
एकता को खंडित कर फूट के बीज बो डालें

हे इंसान सावधान हो जा
फूट डालो और राज करों वालों से दूर हो जा
वरना ये तुझे ऐसे चौराहे पर ला खडा करेगे
जहां चारों ओर घनघोर अंधेरा होगा और

जहां कोई भी सही राह दिखाने वाला नहीं होगा
केवल एक भूल भुलैया के अलावा
वहां कुछ भी नहीं होगा अतः
हे इंसान सावधान हो जा.


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

स्वतंत्र लेखक व पत्रकार

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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