
सैनिक कवि
गणपत लाल उदय, अजमेर (राजस्थान)
मैय्या, आपके चरणों में थोड़ी जगह हमको दे देना,
सत्य-अहिंसा की राह पर चलना हमें सीखा देना।
दुःखों का बादल हटाकर यह ठंडी छाया कर देना,
बिगड़ा हुआ समय हमारा फिर से तुम बना देना।।
सारे जगत के भाग जगाती, मां! मेरा भी जगा देना,
मुझ भटके हुए भक्त को सद्मार्ग आप दिखा देना।
लाया हूं कमल पुष्प, मां! स्वीकार इसको कर लेना,
ऊंचे पर्वत पर रहने वाली, नवरात्रे में दर्शन दे देना।।
पैदल चलकर दर्शन करने भवन आपके में आया,
देखे बहुत जगराते माता, तब यह प्रसाद में पाया।
आस्था का दीया जलाकर “जय मां” करते मैं आया,
कृपा करो हे महामाया, ध्यान आपका मैं लगाया।।
हे ज्ञान दायिनी, हंस वाहिनी! मान मेरा बढ़ाओ मां,
हलवा-पूड़ी का भोग लगाऊं, इसको स्वीकारो मां।
करता रहूं साहित्य सेवा, संसार में नाम कमाऊं मां,
हे आदिशक्ति जगदंबा! आशीष बनाए रखना मां।।
इम्तिहां मेरा ले लेना, पर सफलता आशीष दे देना,
जीवन इन चरणों में गुजरे, मां! ऐसा कुछ कर देना।
धन-माया खूब कमाऊं, पर ईमानदारी का हमें देना,
संकट टलकर निकल जाए, ऐसी सौगात दे देना।।