
सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
मां दीपावली के इस पावन अवसर पर
हम सब मिलकर एक ऐसा दीप जलाएं,
जहां सुकूनदायक जीवन हो,
हर एक व्यक्ति का जीवन संतुलित हो।
मिलावटखोरों का नाश हो,
ऊर्जा का संतुलन हो,
जहां अज्ञानता का नाश हो और
सर्वत्र ज्ञान का प्रकाश फैले।
हर चौराहा रोशनी से रोशन हो,
हर गली, मोहल्ला, गांव व शहर
साफ-सुथरा हो, चारों ओर हरियाली हो।
जहां सर्वत्र संतोष का भाव हो,
लोभ, लालच और मोह-माया का नाश हो।
मां दीपावली के इस पावन अवसर पर
हम सब मिलकर एक ऐसा दीप जलाएं,
जहां सर्वत्र आदर्श संस्कारों का संचार हो,
राष्ट्रविरोधी ताकतों का नाश हो,
भ्रष्टाचार का खात्मा हो,
हर नारी का मान-सम्मान हो,
वृद्धजनों का आदर-सम्मान हो,
विद्या का व्यापक प्रचार-प्रसार हो।
मां दीपावली के इस पावन अवसर पर
हम सब मिलकर एक ऐसा दीप जलाएं,
जहां राष्ट्र का विकास व उत्थान हो,
हर इंसान सच्चाई और भक्ति के मार्ग पर चले।
मां दीपावली के इस पावन अवसर पर
हम सब मिलकर एक ऐसा दीप जलाएं,
जहां सभी स्वस्थ और मस्त हों,
सुखी और खुशहाल हों,
मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत हों।
जहां शांति, सद्भाव, सुख और समृद्धि हो।
मां दीपावली के इस पावन अवसर पर
हम सब मिलकर एक ऐसा दीप जलाएं,
पटाखे न जलाकर
हम प्रदूषणमुक्त भारत का
नव-निर्माण करें,
बीमारियों का खात्मा करें।
सभी शिक्षित और आत्मनिर्भर हों,
हर घर में मां लक्ष्मी और सरस्वती का वास हो।
हरदम श्रेष्ठ विचारों का आदान-प्रदान हो।
मां दीपावली के इस पावन अवसर पर
हम सब मिलकर एक ऐसा दीप जलाएं।
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर, राजस्थान










Nice poem