कविता : मैं आस्तिक हूँ नास्तिक सा

कविता : मैं आस्तिक हूँ नास्तिक सा, आँख बंद करते ही आ जाते हैं सम्मुख हाँ वही.. जिन्हे न मानते हुए भी, उनके न होने को मानते हैं… नास्तिक असल बात यही है के उन्हें प्रमाण चाहिए होता है माना…प्रभु के होने का प्रमाण चाहिए किन्तु न होने का प्रमाण???? #सिद्धार्थ गोरखपुरी, गोरखपुर (उप्र)
मैं आस्तिक हूँ नास्तिक सा
मैं प्रभु के होने को उतना ही स्वीकारता हूँ
जितना कि वे नकारते हैं
आदत कहो या दुर्भाग्य
मैं नहीं जा पाता एक लोटा जल चढ़ाने
पर हाँ, अंतर्मन से चढ़ा देता हूँ
अनगिनत नदियों का जल
कर्पूर और मंदार पुष्प
अपने निर्धारित स्थान से टस से मस नहीं हो पाते
मैं होना चाहता हूँ मगर मन नहीं
वो कहता है उनको इसकी क्या जरूरत
उन्हें तो सिर्फ भाव चाहिए
भाव तो कूट- कूट के भरा है मुझमें
मानों जैसे भक्कू में भूसा…
आँख बंद करते ही आ जाते हैं सम्मुख
हाँ वही..
जिन्हे न मानते हुए भी, उनके न होने को मानते हैं… नास्तिक
असल बात यही है के उन्हें प्रमाण चाहिए होता है
माना…प्रभु के होने का प्रमाण चाहिए
किन्तु न होने का प्रमाण????
बेजान दरवाज़े पर जीवंत स्वास्तिक सा
मैं आस्तिक हूँ नास्तिक सा
👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।
देवभूमि समाचार की टीम के द्वारा देश-प्रदेश की सूचना और जानकारियों का भी प्रसारण किया जाता है, जिससे कि नई-नई जानकारियां और सूचनाओं से पाठकों को लाभ मिले। देवभूमि समाचार समाचार पोर्टल में हर प्रकार के फीचरों का प्रकाशन किया जाता है। जिसमें महिला, पुरूष, टैक्नोलॉजी, व्यवसाय, जॉब अलर्ट और धर्म-कर्म और त्यौहारों से संबंधित आलेख भी प्रकाशित किये जाते हैं।