साहित्य लहर
कविता : अब तो रहम कर
सुनील कुमार माथुर
हे वर्षा रानी ! अब तो रहम कर
बहुत बरस गई अब तो रहम कर
नदी , नाले , बांध सब भर गये लेकिन
तेरा मन अब तक नहीं भरा
तेरे लगातार बरसने से
जनता के घरों में पानी भर गया
मकान टपकने लगे है
सडके जगह जगह से टूट गई हैं
सडकों पर चलना दुर्भर हो गया है
हे वर्षा रानी ! अब तो रहम कर
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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