साहित्य लहर

कविता : प्रणाम बारम्बार

कविता : प्रणाम बारम्बार, नमस्कार प्रभु श्री राम, प्रणाम बारंबार, डगमग करती नैया डोले, नाथ किनारे तक पहुंचाओ, तूफानों से हमें बचाओ। प्रभु शरण तुम्हारी, श्रद्धा रूपी भेंट हमारी, स्वीकार करो।जीवन हमारा मंगलमय करो।। #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश

नमस्कार प्रभु श्री राम
प्रणाम बारम्बार
श्रद्धा रूपी भेंट हमारी
स्वीकार करो।
जीवन हमारा मंगलमय करो।।

प्रभु तुम कण-कण में
तुम में सारा जग समाया
सब तुम्हारी ही माया।

रक्षक- पोषक दाता तुम
राजा-रंक सब के पालनहारी तुम
परम कृपालु- परम दयालु
करुणा के भंडार तुम।

नमस्कार प्रभु श्री राम
प्रणाम बारंबार
डगमग करती नैया डोले
नाथ किनारे तक पहुंचाओ
तूफानों से हमें बचाओ।

प्रभु शरण तुम्हारी
श्रद्धा रूपी भेंट हमारी
स्वीकार करो।
जीवन हमारा मंगलमय करो।।


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कविता : प्रणाम बारम्बार, नमस्कार प्रभु श्री राम, प्रणाम बारंबार, डगमग करती नैया डोले, नाथ किनारे तक पहुंचाओ, तूफानों से हमें बचाओ। प्रभु शरण तुम्हारी, श्रद्धा रूपी भेंट हमारी, स्वीकार करो।जीवन हमारा मंगलमय करो।। #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश

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