कविता : सपनों की सौगात
राजीव कुमार झा
सुबह मन की
कोई बात
यहां सुनाई देती
आधी रात
जब अंगराई लेती
तुम मन की बात
बता देती
हंसी मुझे आती
दुपहरी में
इंतजार करता रहता
दूर शहर में
कई दिनों से
बंद पडा
मेरा अपना कोई
बरसाती
अब हम उसके पास
यहां आयेंगे
अपने साथ
यहां तुम्हें भी लाएंगे
सपनों सौगात
मोती माणिक हार
उसे पहनाएंगे
चांद को गीत
सुनाएंगे
तुम्हें अपने पास
बुलाएंगे
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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