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यह कविता शिक्षा को समाज के हर व्यक्ति तक पहुँचाने और गाँव-गाँव ज्ञान का दीप जलाने का आह्वान करती है, ताकि डिजिटल युग में साक्षर, सक्षम और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सके। साथ ही यह नैतिक मूल्यों, सांस्कृतिक संस्कारों, भाईचारे और राष्ट्रप्रेम को बनाए रखते हुए शिक्षा के माध्यम से स्वाभिमान और प्रगति का मार्ग अपनाने का संदेश देती है।
राजेश कुमार शर्मा
अध्यापक, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सूलिया, जिला झालावाड़ (राजस्थान)
शिक्षा बहुत जरूरी है जन -जन को ये बताना है।
गाँव -गाँव ढाणी – ढाणी शिक्षा दीप जलाना है।।
डिजिटल युग में ऑनलाइन पेमेंट भी सीखना है।
अक्षर सीख पढ़ लिखकर सबको साक्षर बनना है।।
पढ़ लिखकर देश हित के सारे काम सम्भालना है।
विश्व गुरु है देश हमारा संस्कृति संस्कार बचाना है।।
नैतिक मूल्यों को जीवन में हमें बचाकर रखना है।
रिश्तों में अपनत्व रहे हमें भाईचारा बढ़ाना है।।
अलग अलग जाति धर्म के चाहे हम मानने वाले हैं।
लेकिन सबसे पहले भारत माँ की जय गाने वाले हैं।।
स्वाभिमान से जीना है तो भाई बहनों पढ़ना होगा।
शिक्षा पाकर हम सबको आगे कदम बढाना होगा।।









