साहित्य लहर

कविता : दीवाली

कविता : दीवाली, लाख तूफान राहों में आयेंगे, परंतु ज्ञान के दीप न बुझ पायेंगे, अमावस निशा भी चली जायेगी, पूर्णिमा वाली उजली रात आयेगी, तुम सहर्ष स्वीकार करो हर चुनौती, भोर की पहली किरण यही बताती, हर घर हो जाये सुखी… #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, आगरा (उत्तर प्रदेश)

आयी मंगल दीप दीवाली
छाई घर-घर रौनक निराली

साथी ! दिया जलाओ स्नेह भरा
ताकि स्वर्ग बन जाये अपनी धरा

मिलजुल कर मिटा दो अंधेरा
साथी ! खुशियों का ला दो सवेरा

अन्न -धन से भर जाए हर आंगन
सब जन मिल करो ऐसा जतन

खिचड़ी

मन से ईर्ष्या- जलन मिटा दो
अंतर्मन में ज्ञान के दीप जला दो



लाख तूफान राहों में आयेंगे
परंतु ज्ञान के दीप न बुझ पायेंगे



अमावस निशा भी चली जायेगी
पूर्णिमा वाली उजली रात आयेगी

श्राद्ध-पक्ष में पितृ-ऋण से उऋण हों

तुम सहर्ष स्वीकार करो हर चुनौती
भोर की पहली किरण यही बताती



हर घर हो जाये सुखी- समृद्धिशाली
तो निश्चित ही होगी हर रोज दीवाली


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कविता : दीवाली, लाख तूफान राहों में आयेंगे, परंतु ज्ञान के दीप न बुझ पायेंगे, अमावस निशा भी चली जायेगी, पूर्णिमा वाली उजली रात आयेगी, तुम सहर्ष स्वीकार करो हर चुनौती, भोर की पहली किरण यही बताती, हर घर हो जाये सुखी... #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, आगरा (उत्तर प्रदेश)

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