***
साहित्य लहर

कविता : जाता हुआ दिसंबर

कविता : जाता हुआ दिसंबर, आओ समेट लो खुशियां तुम, मना लो त्यौहार मैं जा रहा हूं!, आने वाले कल में,याद बनकर, मैं एक अच्छी याद चाहता हूं। मैं सबकी दुआएं चाहता हूं, मैं सबसे मिलना चाहता हूं, सबके लिए एक अच्छी खबर चाहता हूं, ग्वालियर, मध्य प्रदेश से आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका) की कलम से…

जाता हुआ ये दिसंबर
देखो कुछ कह रहा है,
बीते साल की स्मृतियों को ,
खुशियों संग विदा किया हैं।।

आने वाले समय के भव्य ,
स्वागत के लिए तत्पर खड़ा
मुख मंडल पर मुस्कान लिए,
जाता हुआ ये दिसंबर कुछ कह रहा ।।

आओ समेट लो खुशियां तुम
मना लो त्यौहार मैं जा रहा हूं!
आने वाले कल में,याद बनकर
मैं एक अच्छी याद चाहता हूं।।

मैं सबकी दुआएं चाहता हूं,
मैं सबसे मिलना चाहता हूं,
सबके लिए एक अच्छी खबर चाहता हूं
जाता हुआ मैं कुछ कहना चाहता हूं।।

गिले शिकवे भूलकर सब ,
तुम सबको ही गले लगाना
कोई यदि ना याद करे तुमको तो ,
नए साल में तुम ही कदम बढ़ाना ।।

बांटकर प्रेम के फूल तुम सबको
मुझे हर्षित कर, विदा कर जाना
कि जाता हुआ दिसंबर तुमसे
ये कुछ कहना चाहता है ।।
आत्मसम्मान को मत गवाना..

ऋषभ पंत को याद नहीं कार से कैसे निकले बाहर


👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।

कविता : जाता हुआ दिसंबर, आओ समेट लो खुशियां तुम, मना लो त्यौहार मैं जा रहा हूं!, आने वाले कल में,याद बनकर, मैं एक अच्छी याद चाहता हूं। मैं सबकी दुआएं चाहता हूं, मैं सबसे मिलना चाहता हूं, सबके लिए एक अच्छी खबर चाहता हूं, ग्वालियर, मध्य प्रदेश से आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका) की कलम से...

गुब्बारों के साथ पाकिस्तानी झंडे उड़कर पहुंचे उत्तरकाशी

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights