साहित्य लहर
कविता : आओ ऐसा दीप जलाएं
सुनील कुमार माथुर
आओं ऐसा दीप जलाएं
जहां घोर अंधकार छाया हो
अंहकार , घमंड , राग – ध्देष
जहां अपना आसन जमा बैठा हो
आओं वहां ऐसा दीप जलाएं
जो प्रेम , करुणा , दया , वात्सल्य और
सदाचार की रोशनी फैला सकें
आओं ऐसा दीप जलाएं
जिससे भ्रष्टाचार , मंहगाई का नाश हो
अज्ञानता का नाश हो और
हर व्यक्ति स्वस्थ हो , आओं ऐसा दीप जलाएं
जिससे मन में जमी कालिक ( बुराइयों ) को
हम दीप जलाकर दूर करें
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|
Nice poem
Nice
Nice