कविता : आओ ऐसा दीप जलाएं

कविता : आओ ऐसा दीप जलाएं, जनहित के कार्य हों, रिश्तों में मिठास हों, आओं भैय्या आओं भैय्या, हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएं, अज्ञानता व अंधकार का नाश हो, देशहित की बात हों , न ई सोच हो, आओं भैय्या आओं भैय्या, हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएं… #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
आओ भैय्या आओं भैय्या
हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएं
जहां चन्द्रमा जैसी चांदनी हो
सूर्य जैसी ऊर्जा हों
तारों जैसी चमक हो
आओं भैय्या आओं भैय्या
हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएं
जहां अज्ञानता का नाश हो
शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हो
जनहित के कार्य हों
रिश्तों में मिठास हों
आओं भैय्या आओं भैय्या
हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएं
अज्ञानता व अंधकार का नाश हो
देशहित की बात हों , न ई सोच हो
आओं भैय्या आओं भैय्या
हम सब मिलकर ऐसा दीप जलाएं
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Nice poem
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