कविता : शहर बढ़ा आबादी बढ़ी

सुनील कुमार माथुर
शहर बढा आबादी बढी
बढ गई वाहनों की रफ्तार
वाहन बढे सडके टूटी , नेता हो गये मालामाल
शिक्षा बढी शिक्षण संस्थान बढें
बढ गई देश में शिक्षित बेरोजगारी
शहर बढा आबादी बढी बढ गये अपराध
मंहगाई बढी जनता की कमर टूटी
जनता हो गई लाचार , रोग बढें अस्पताल बढें
बिक गई सरकारी दवा बाजार में
मरीज दवा को तरस गया
भ्रष्टाचार बढा , मंहगाई बढी , नेता हुए मालामाल
नैतिक मूल्यों का हास हुआ , बिगड गई औलादें
शहर बढा आबादी बढी
बढ गई वाहनों की रफ्तार
वाहन बढे टूटी सडकें नेता हो गये मालामाल
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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