साहित्य लहर
कविता : अमृत कुंभ और महाप्रयाग
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डॉ उषाकिरण श्रीवास्तव
चलो -चलें अमृत-कुंभ नहाएं
समरसता की पाठ पढ़ाएं,
एक सौ चौबालिस वर्ष में बाद आया है
शुभ -मूहूर्त में महापुण्य कमाएं।
साधु-संतो से हीं भारत में
सनातन धर्म की पहचान है,
सारे विश्व में योगी जी -मोदी जी
अपनी कृर्ति से बहुत महान् महान् हैं।
साधु-संतों की अद्भुत शक्ति-कृर्ति
देख विश्व हो रहा अचंभित,
आस्था और विश्वास का मेला-रेला
विश्व में भारत एक अकेला।
अमृत कुंभ में जीवन धारा
देतासबको संदेश है न्यारा,
नदियों को मिल स्वक्छ बनायें
कुंडे -करकरट से इन्हें बचायें।
नदियों का जल स्वच्छ रहैगा
जीवन भी तब मस्त रहेगा,
जीवन धारा नमामि गंगे
हर -हर गंगे, घर-घर गंगे।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राज्याध्यक्ष,
जीवन धारा नमामि गंगे, बिहार
मुजफ्फरपुर, बिहार