साहित्य लहर

संसदीय असंसदीय…?

नवाब मंजूर

संसदीय असंसदीय की छिड़ी है लड़ाई
बोल हिंदी बोल तू कैसे चली यहां आई?

करने दे उनको मनमानी
चुप ही रह तू , बिल्कुल खामोश!
वरना पता नहीं
कौन सा शब्द उन्हें चुभ जाए?
और तेरे उस शब्द का भी लंका लग जाए।

अगर संसद में न चलेंगे शब्दों के बाण
तो क्या सड़कों पर होगा घमासान?

मर्यादित आचरण और
हृदयभेदी शब्दबाण
यही तो थी अपने संसद की पहचान
जो लाती थी
आम अवाम के चेहरे पर मुस्कान!

लेकिन
अब तो संसद दिखेगा वीरान
केवल वाह वाह…
जय हो…. से गूंजायमान होगा सदन
चुटीले शब्दों से अब वंचित होगा भवन?

कहां से आएगी?
जनता में अब वो उत्साह!
जिसे दुहराकर कर अपनों संग
लेते थे मजा…
उसी अंदाज पर तो थे मेरे अपने फ़िदा।

अब तो हमारी महफ़िल भी बेरंग होगी?
असंसदीय शब्दों कीजो न जंग होगी!


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

From »

मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूर

लेखक एवं कवि

Address »
सलेमपुर, छपरा (बिहार)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights