लक्ष्मी जी के नाम एक भक्त का खुला पत्र
सुनील कुमार माथुर
आदरणीय लक्ष्मी जी ,
सादर चरण स्पर्श । दीपावली के इस पावन अवसर पर आपका यह भक्त शिकायतों का पिटारा लेकर आया हैं । हे लक्ष्मी माता ! आपके लक्ष्मी पूजन हेतु मेरे पास चढाने को कुछ भी नहीं हैं । नेताओं ने देश को लूट लिया हैं । जनता पर नाना प्रकार के कर लगा दिये है । उधोगपतियों से धन बटोर कर उन्हें मंहगाई बढाने की खुली छूट दे दी हैं । बाजार के हालात आप से छिपे नहीं हैं । मंहगाई जिस रफ्तार से बढी है उस रफ्तार से जनता जनार्दन का वेतन नहीं बढा है ।
आप तो धन लक्ष्मी हैं । आपको क्या मालुम की मंहगाई क्या होती हैं । गरीबी इतनी बढ गई कि इंदिरा रसोई की आठ रूपये वाली थाली भी नहीं खरीद सकते है चूंकि उसकी क्वालिटी पर भरोसा नहीं और आटा , घी , तेल , मिर्च मसालें , दूध , दही , पनीर , दालों , हर प्रकार के खाधान्न आम आदमी की खरीद से बाहर हो गये है । आप स्वंय गरीबों से रुठ गयी हैं चूंकि उन्होंने आपको हमेंशा पलक पावडे बिछाकर मान सम्मान दिया , लेकिन आपने इन लुटेरों को रोका तक नहीं ।
शुध्द का युध्द भी एक खानापूर्ति के सिवाय कुछ भी नहीं हैं । आज भी मिठाई के साथ डिब्बे तुल रहे है मिलावटी सामग्री धडल्ले से बिक रही है जिसके कारण नाना प्रकार की बिमारियां फैल रही है । इस बात से आप पूरी तरह से परिचित हैं चूंकि आपको चढाये जानें वाला प्रसाद व मावा भी नकली है । हे लक्ष्मी माता ! यही वजह है कि यह भक्त आप से नाराज है और यह पूजा की थाली खाली है । अगर आप हमें इन लुटेरों से नहीं बचा सकती हैं या आप जनहित में कोई कार्य करने में असमर्थ है तो हम आपको बाध्य नहीं कर सकते ।
लेकिन आप इतना तो कर ही सकती है कि संयुक्त परिवार बिखरे नही़ , परिवारजनों में प्रेम , स्नेह , भाईचारा , सहनशीलता , संयम , धैर्य की भावना बनी रहें । सभी लोग एक दूसरे की मदद करें और कोई किसी के साथ अन्याय न करे , किसी का भी दिल न दुखाए , देशवासी शिक्षित हो , संस्कारवान व चरित्रवान हो एक दूसरे पर विश्वास करे । चूंकि जहा विश्वास है वहीं प्यार , ममता व लाड दुलार हैं ।
हें लक्ष्मी माता ! आप तो अंतरयामी है । आप से कुछ भी नहीं छिपा है लेकिन फिर भी इस भक्त ने आपको सब कुछ बिना भय के बता दिया हैं । आप हमारी मजबूरी समझ गई होगी । जब दो वक्त की रोटी , खाना बनाने के लिए रसोई गैस , दाल आटा मसाले नकली मिलावटी होने के बाद में भी इतने मंहगे है तो पटाके क्या खाक फोडेगे । दीपावली पर एक रात मंहगाई को कोस कर इतिश्री कर लेगे । माफ करना अगर आपको लगे कि मैने कुछ ज्यादा ही आपको खरी खोटी सुना दिया है । अब भी वक्त हैं मंहगाई की बढी दरें वापस ले लीजिये जनता को मंहगाई से राहत मिलते ही फिर हर रोज दिवाली ही दीवाली है । बस इतनी कृपा कर दीजिए । मंहगाई से राहत दिला दीजिये।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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