उत्तराखंड में गोल्डन कार्ड पर अब जांच और दवाइयां भी कैशलेस
उत्तराखंड में गोल्डन कार्ड पर अब जांच और दवाइयां भी कैशलेस, इसमें कर्मचारियों व पेंशनरों को कैशलेस इलाज में खर्च की कोई सीमा नहीं है। इलाज पर जितना भी खर्च आएगा।
देहरादून। आयुष्मान योजना के गोल्डन कार्ड पर प्रदेश के कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को अब तक डायग्नोस्टिक और दवाइयों के लिए कैशलेस सुविधा मिलेगी। इस व्यवस्था के शुरू होने से उन्हें बीमारियों की जांच और दवाइयों के लिए नकद भुगतान नहीं करना पड़ेगा। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग गोल्डन कार्ड में नई सुविधा के लिए एसओपी (मानक प्रचालन प्रक्रिया) तैयार कर रहा है। जल्द ही शासनादेश जारी कर इसे लागू किया जाएगा।
1 जनवरी 2021 में प्रदेश सरकार ने आयुष्मान योजना के तहत राज्य सरकार स्वास्थ्य स्कीम (सीजीएचएस) में कर्मचारियों और पेंशनरों और उनके आश्रितों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा शुरू की थी। इसमें कर्मचारियों व पेंशनरों को कैशलेस इलाज में खर्च की कोई सीमा नहीं है। इलाज पर जितना भी खर्च आएगा। उसका भुगतान सरकार की ओर से किया जाता है। कैशलेस इलाज की सुविधा के लिए कर्मचारियों व पेंशनरों से प्रति माह के हिसाब से अंशदान लिया जाता है।
अभी तक अस्पताल में भर्ती होने पर कैशलेस इलाज की सुविधा थी, जबकि ओपीडी में इलाज कराने पर कर्मचारियों व पेंशनरों को चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति की जाती है। अब गोल्डन कार्ड पर डायग्नोस्टिक और सभी दवाइयां भी कैशलेस मिलेंगी। जल्द ही इस सुविधा को लागू किया जाएगा। अभी तक गोल्डन कार्ड पर यह सुविधा नहीं होने से कर्मचारियों व पेंशनरों को नकद भुगतान करना पड़ता है। बाद में उन्हें दवाइयों व जांच के बिलों की प्रतिपूर्ति की जाती थी।
गोल्डन कार्ड धारक कर्मचारियों व पेंशनरों को कैशलेस पर जांच व दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए मेडिकल स्टोर और पैथोलॉजी लैब को योजना में सूचीबद्ध किया जाएगा। जहां पर कार्मिकों को डॉक्टर का पर्चा और गोल्डन कार्ड दिखा कर दवाइयां व जांच की सुविधा मिलेगी। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से मेडिकल स्टोर व पैथोलॉजी लैब को भुगतान किया जाएगा।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से अब तक कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों के 4.52 लाख से अधिक गोल्डन कार्ड बनाए गए हैं। कार्डधारकों को यह सुविधा मिलेगी। गोल्डन कार्ड पर एक लाख कर्मचारियों व पेंशनरों को इलाज की सुविधा मिली है। इसमें आईपीडी में 140 करोड़ और ओपीडी इलाज में 85 करोड़ की राशि खर्च की गई।
गोल्डन कार्ड पर कर्मचारियों व पेंशनरों के लिए जांच और दवाइयां भी कैशलेस की जा रही है। इसके लिए एसओपी तैयार की जा रही है। जल्द ही शासनादेश जारी कर इस सुविधा को शुरू किया जाएगा। साफ्टवेयर को भी अपडेट किया जा चुका है।
– अरुणेंद्र सिंह चौहान, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण
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