
- नेशनल हेराल्ड केस में नया मोड़: गांधी परिवार पर गंभीर आपराधिक आरोप
- यंग इंडियन और AJL सौदे पर नया विवाद, दिल्ली पुलिस ने दर्ज की FIR
- ईडी की शिकायत पर कार्रवाई, सोनिया–राहुल पर साजिश का आरोप
- 2000 करोड़ की संपत्ति विवाद में FIR, कांग्रेस नेतृत्व घिरा
- नेशनल हेराल्ड पर कब्जे का आरोप, गांधी परिवार की बढ़ी कानूनी चुनौतियाँ
दिल्ली | नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े एक अहम और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मोड़ ने रविवार को देश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी, जब दिल्ली पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप लगाते हुए एक नई प्राथमिकी दर्ज की। यह FIR प्रवर्तन निदेशालय की शिकायत पर आधारित है, जिसे हाल ही में दिल्ली पुलिस को सौंपा गया था। इस नई कार्रवाई ने न केवल नेशनल हेराल्ड मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, बल्कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के लिए कानूनी चुनौतियां भी बढ़ा दी हैं। ईडी की शिकायत के बाद दर्ज की गई FIR में कहा गया है कि यंग इंडियन नाम की कंपनी के जरिये एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) पर धोखे से नियंत्रण हासिल करने की आपराधिक साजिश रची गई, जिसके पास लगभग दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति थी। यह आरोप कई वर्षों से चल रहे विवाद में एक नया और गंभीर अध्याय जोड़ता है।
दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गई नई प्राथमिकी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा चार और व्यक्तियों—सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी और एक अज्ञात व्यक्ति—को आरोपी बनाया गया है। यही नहीं, तीन कंपनियों—एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL), यंग इंडियन और कोलकाता की डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड—को भी FIR में आरोपी के तौर पर शामिल किया गया है। शिकायत के अनुसार, यंग इंडियन कंपनी, जिसमें गांधी परिवार की संयुक्त हिस्सेदारी 76% थी, ने डोटेक्स मर्चेंडाइज से प्राप्त एक करोड़ रुपये का उपयोग कांग्रेस पार्टी को 50 लाख रुपये देने और इसके माध्यम से AJL पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए किया। FIR में दर्ज विवरण के अनुसार, यह हस्तांतरण और पूरी वित्तीय प्रक्रिया साजिश के तहत की गई, जिसका उद्देश्य AJL की संपत्तियों पर कब्जा जमाना था, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग दो हजार करोड़ रुपये बताई गई है।
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मामले की जड़ें 2012 में दाखिल हुई उस याचिका से जुड़ी हैं, जिसे भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में दाखिल किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेताओं ने राजनीतिक पार्टी के धन का उपयोग एक निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने और AJL की संपत्ति हड़पने के लिए किया। ऐतिहासिक रूप से, नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते AJL ने 2008 में अपने प्रकाशन को बंद कर दिया था। उस समय AJL पर लगभग 90 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसे चुकाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने कंपनी को ब्याज-मुक्त ऋण दिया। कांग्रेस का हमेशा यह कहना रहा है कि जब कंपनी यह ऋण नहीं चुका सकी, तो इसे शेयरों में परिवर्तित कर दिया गया, और चूंकि कोई राजनीतिक पार्टी शेयर नहीं रख सकती, इसलिए इन्हें यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया, जो 2010 में गठित कंपनी थी और जिसमें राहुल व सोनिया गांधी बहुमत शेयरधारक थे।
नई FIR आने का समय भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि दिल्ली की एक अदालत ने अभी एक दिन पहले ही नेशनल हेराल्ड केस में फैसला 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया था। इससे पहले ईडी ने इस मामले में गांधी परिवार से कई बार पूछताछ की थी और यंग इंडियन तथा AJL के वित्तीय लेनदेन की गहराई से जांच की थी। अब दिल्ली पुलिस की FIR ने इस केस को एक बार फिर कानूनी और राजनीतिक बहस के केंद्र में ला दिया है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि यह पूरी कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है, जबकि सरकार से जुड़े लोग इस मामले को भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की गंभीर जांच बताते हैं। आने वाले समय में यह मामला भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा विवाद और कानूनी संघर्ष लेकर आएगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालतें इस नए मोड़ के बाद क्या रुख अपनाती हैं।
🎉 नेशनल हेराल्ड केस क्या है? 🎉
नेशनल हेराल्ड अखबार को चलाने वाली कंपनी AJL पर 90 करोड़ का कर्ज था। कांग्रेस ने इसे राहत देने के लिए लोन दिया, जो बाद में शेयरों में बदला गया। ये शेयर यंग इंडियन को दिए गए, जिससे यंग इंडियन को AJL की 2000 करोड़ की संपत्तियों पर नियंत्रण मिला। इसी प्रक्रिया को लेकर आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया है।








