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मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत मुख्यमंत्री ने 3848 लाभार्थियों के बैंक खातों में 33.22 करोड़ रुपये की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की। मुख्यमंत्री ने योजना को आत्मनिर्भर उत्तराखंड की नींव बताते हुए लाभार्थियों से संवाद कर इसके जमीनी प्रभाव को रेखांकित किया।
- स्वरोजगार के जरिए पलायन रोकने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम
- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना बनी उत्तराखंड के लिए गेम चेंजर
- एमएसवाई 2.0 से बढ़ी सब्सिडी, युवाओं को मिलेगा और अधिक लाभ
- लाभार्थियों की सफलता की कहानियों ने योजना की सफलता को किया साबित
देहरादून। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत राज्य के 3848 लाभार्थियों के बैंक खातों में कुल 33.22 करोड़ रुपये की धनराशि ऑनलाइन माध्यम से हस्तांतरित की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का स्पष्ट संकल्प है कि उत्तराखंड का युवा नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बने। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना इसी लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक प्रभावी और दूरदर्शी पहल है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य में पलायन रोकने, रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित करने और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। विशेष रूप से कोविड-19 के दौरान बाहर से लौटे प्रवासी, युवा उद्यमी, कारीगर, हस्तशिल्पी और शिक्षित बेरोजगार इस योजना के प्रमुख लाभार्थी रहे हैं। योजना के माध्यम से राज्य के मूल और स्थायी निवासियों को विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार क्षेत्रों में राष्ट्रीयकृत, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के जरिए ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
उन्होंने बताया कि विनिर्माण इकाइयों के लिए 25 लाख रुपये तक और सेवा एवं व्यापार इकाइयों के लिए 10 लाख रुपये तक की परियोजना लागत अनुमन्य है। इसके साथ ही परियोजना लागत का 15 से 25 प्रतिशत तक मार्जिन मनी उपादान के रूप में दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के तहत लगभग 32 हजार लाभार्थियों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था, जबकि अब तक 35 हजार से अधिक लोग इससे लाभान्वित हो चुके हैं। योजना के अंतर्गत अब तक 1,389 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित किया जा चुका है, जिससे लगभग 64,966 नए रोजगार सृजित हुए हैं। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि योजना कागजों में नहीं, बल्कि धरातल पर प्रभावी ढंग से लागू हो रही है।
मुख्यमंत्री ने इसे छोटे व्यापारियों और आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रदेश के लिए एक “गेम चेंजर योजना” बताया। उन्होंने कहा कि योजना की सफलता को देखते हुए वर्ष 2025 से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना 2.0 (MSY 2.0) प्रारंभ की गई है, जिसमें एमएसवाई और नैनो योजना का एकीकरण किया गया है। नई व्यवस्था में सब्सिडी की सीमा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी गई है। इसके साथ ही भौगोलिक, सामाजिक और उत्पाद बूस्टर के अंतर्गत अतिरिक्त 5 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान किया गया है, जिससे यह योजना आर्थिक ही नहीं, सामाजिक रूप से भी सशक्त बनेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लाभार्थियों को सब्सिडी की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर की गई है, जो सरकार की पारदर्शी, तकनीक आधारित और भ्रष्टाचार मुक्त कार्यप्रणाली का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना आत्मनिर्भर उत्तराखंड की मजबूत नींव है और सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में स्थानीय उद्यम, हर गांव में रोजगार और हर युवा के हाथ में काम हो। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करते हुए डबल इंजन सरकार राज्य के युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से सशक्त बना रही है।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने योजना से लाभान्वित उद्यमियों से संवाद भी किया। लोहाघाट, चंपावत के श्री कमल सिंह पार्थोली ने बताया कि उन्होंने स्मार्ट लाइब्रेरी के लिए 10 लाख रुपये का ऋण लिया है, जहां वर्तमान में 130 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं और भविष्य में ई-लाइब्रेरी स्थापित करने की योजना है। उधम सिंह नगर के श्री प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि गाड़ी सर्विस के लिए 10 लाख रुपये का ऋण लेकर उन्होंने अपने जीवन में बड़ा बदलाव किया, जबकि पहले वे साइकिल रिपेयरिंग का कार्य करते थे। उत्तरकाशी के श्री जसपाल ने फिटनेस क्लब की स्थापना कर अपने रोजगार का विस्तार किया है। पौड़ी गढ़वाल के श्री अयान मंसूरी ने रजाई-गद्दा निर्माण के कार्य से न केवल स्वयं को बल्कि कई अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है और इस वर्ष तीन करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान जताया। बागेश्वर की श्रीमती चंपा देवी ने मोबाइल सेल एंड सर्विस के जरिए अपनी आजीविका में उल्लेखनीय वृद्धि होने की बात कही।
कार्यक्रम में सचिव उद्योग श्री विनय शंकर पांडेय, महानिदेशक उद्योग एवं प्रबंध निदेशक सिडकुल डॉ. सौरभ गहरवार, उप सचिव श्री शिव शंकर मिश्रा, अपर निदेशक श्री मृत्युंजय सिंह, संयुक्त निदेशक श्री अनुपम द्विवेदी, श्री दीपक मुरारी, उप निदेशक श्री महावीर सजवान, श्री राजेंद्र कुमार, उद्योग मित्र श्री अभिषेक नैनवाल एवं श्री अनुराग गुप्ता सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।





