साहित्य लहर
वर्षा रानी याद आती हो

विकास कुमार
दाउदनगर औरंगाबाद | मो:– 8864053595
गर्म मौसम में क्यों तड़पाती हो,
तुम किसानों को याद आती हो।।
वर्षा रानी जी क्यों इतराती हो,
तुम किससे इतना शर्माती हो।
बादल लेकर आप कहा जाती हो,
इतना पानी कैसे आप लाती हो।।
गर्म मौसम में क्यों तड़पाती हो,
तुम किसानों को याद आती हो।
गिरे बीज से नए पौधे उगाती हो,
छोटे पौधे को तुम पेड़ बनाती हो।
जब आकाश में बादल लाती हो,
सब के मन को तुम लुभाती हो।।
गर्म मौसम में क्यों तड़पाती हो,
तुम किसानों को याद आती हो।
सोए छत पर रात में जगाती हो,
किसी का घर भी तुम गिराती हो।
इतना सब को आप शताती हो,
कब बरसोगी ये नही बताती हो।
गर्म मौसम में क्यों तड़पाती हो,
तुम किसानों को याद आती हो।