स्मृति शेष : साहित्यकार राजेन्द्र जोशी नहीं रहे
सुनील कुमार माथुर
यह संसार तो एक सराय है और यहां आकर कोई सदा के लिए नहीं रह सकता हैं इसलिए जितना हो सके जीवन में ईमानदारी व निष्ठा के साथ करें चूंकि जिसका जन्म होता हैं उसकी एक न एक दिन मृत्यु होना निश्चित हैं । यह जीवन बडा अमूल्य हैं । अतः जीवन के एक – एक क्षण को जो परमार्थ के कार्यों में लगाता हैं उसी का जीवन सफल हो पाता हैं अन्यथा हमारा इस नश्वर संसार में कोई महत्व नहीं है । परमात्मा ने हमें परमार्थ के कार्यों के लिए ही तो इस धरती पर जन्म दिया हैं ।
साहित्यकार राजेन्द्र प्रसाद जोशी का बुधवार १५ दिसम्बर की शाम को निधन हो गया वे ५८ वर्ष के थे । उनके निधन से साहित्य जगत और चिकित्सा जगत को भारी क्षति हुई है जिसकी पूर्ति करना असंभव है । जोशी चिकित्सा विभाग में सेवारत थे तथा पिछले कुछ समय से बीमार थे । उन्होंने अपनी सेवाएं चिकित्सा विभाग में दी और जहां भी रहें वहां पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ कार्य किया और विभाग की गरिमा व गौरव को बनाये रखा ।
उन्हें लेखन का बहुत ही शौक था और पत्र पत्रिकाओ में समय समय पर लिखा करते थे । स्व० जोशी ने बी एस सी ( नर्सिग ) एवं एम ए जैनोलोजी मे की थी । उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओ में व काव्य संकलनों में सभी विधाओं में प्रकाशित होती थी । वे कादम्बिनी क्लब मेडता शहर , मीरां राजस्थानी मंच मेडता शहर , मीरां साहित्य , संस्कृति एवं कला संस्थान के सक्रिय सदस्य थे ।
उन्हेंं 2003 में राष्ट्र भाषा सम्मान, 2005 में हिन्दी सेवी सम्मान, 2005 मे साहित्य मणि सम्मान मिला था । उन्होंने शब्दो की पगडंडियां व अंतर्मन के शब्द चित्र काव्य संग्रह भी लिखे । वे अपना अधिकांश समय पत्र – पत्रिकाओं को पढने व लिखने में ही लगाया करते थे । चिकित्सा विभाग मे उनकी सेवाएं काफी सराहनीय रही ।
वे बडे ही धर्मपरायण व्यक्ति थे । उन्होंने सदैव पूजा पाठ दान पुण्य, परिवार के लोगों में सामंजस्य बनाये रखा । वे बडे ही मिलनसार व्यक्ति थे । वे सदा कहा करते थे कि उम्मीद पर ही यह दुनियां टिकी हुई है । जन्म और मृत्यु की डोर परमात्मा के हाथ में हैं उसने यह डोर किसी इंसान को नहीं सौंपी ।
हां डाक्टरों को इस धरती पर भगवान ने अपने एक दूत के रूप में जरूर भेजा हैं जो हमें कुछ दिनों तक मृत्यु से रोक कर जीवन दान दे सकते हैं लेकिन परमात्मा के हुकुम के आगे डाक्टर भी असहाय है । मृत्यु एक शाश्वत सत्य है और मनुष्य अपने सद् कर्मों के माध्यम से ही जीवन को सार्थक बना सकता है । यह कटु सत्य है कि जो आता है उसे एक न एक दिन अवश्य ही जाना है । बाद में तो यादें शेष रह जाती है ।
वे सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे । वे निरन्तर सेवा कार्य में लगे रहे । उन्होंने हर किसी का संकट के समय में एकजुटता , आत्मविश्वास और मनोबल बढाया । उनमें अद् भूत संगठन शक्ति थी । उनकी जैसी स्पष्टवादिता , सादगी व अपनत्व अब कहा देखने को मिलता हैं । इनके जीवन से हमें हमेशा प्रेरणा मिलती रहेगी ।
सरल , सौम्य , बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी , सेवाभावी, कोमल हृदयधारी , सर्वत्र लोकप्रिय, सादगी पूर्ण जीवन, दयाभाव, मधुरवाणी , धार्मिक व्यक्तित्व सदैव आपकी उपस्थिति का अहसास दिलाता रहता हैं । आप सम्पूर्ण परिवार के लिए अथाह शक्ति के स्त्रोत थे । आपने जीवन में हमें सत्य , श्रम एंव निःस्वार्थ कर्म का मार्ग दिखाया ।
आपकी पावन स्मृति को मन में संजोए , हम इस मार्ग पर सदैव चलेंगे आपका अपूर्ण तेजस्व पूरे परिवार को सदा ही प्रभावित करता रहेगा । वे करूणा , मानवता एवं संवेदनशीलता के प्रेरक थे । उनका विशाल हृदय था और कोमल इतना था जितना नारियल की गिरी हो।
उनके विचार , धर्मपरायणता एवं उच्च आदर्श ही हमारे प्रेरणास्रोत एवं सम्बल हैं । धार्मिक प्रवृत्ति , अनुशासन प्रेमी , दीन दुखियों के प्रति सेवाभाव, दान पुण्य में विश्वास , उनका जीवन तो एक खुली किताब की तरह था । वे सभी को मान सम्मान देते थे । छोटे व बडे सभी के प्रति आदर भाव रखते थे । वो सादा जीवन और उच्च विचारों के धनी थे ।
वे नम्र स्वभाव, स्वाभिमानी, न्यायप्रिय, कर्मठ , निष्ठावान, शीतल स्वभाव, परोपकारी, नेक निर्भिक व कर्मयोगी व्यक्ति थे। प्रभावशाली व्यक्तित्व, सौम्य, सरल, मृदु स्वभाव, निस्वार्थ भाव, सद् स्नेही स्वभाव समाज के लिए सदैव प्रेरणा का स्त्रोत रहेगा । कितना निर्मल हृदय था आपका । सबको समेटे विशाल आंचल था आपका ।। प्रेम निष्ठा धैर्य की मूर्त थे ।आप स्नेह विनम्रता के पथ प्रदर्शक थे ।
कर्तव्यपरायणता , अनुशासित जीवन और सामाजिक सरोकार , ईमानदारी , विनम्रता के आप भंडार थे । ऐसे कर्मनिष्ठ , सेवाभावी एवं आध्यात्मिकता के प्रतीक व्यक्ति को शत् शत् नमन् । हृदय में विशालता , जीवन में सरलता , वाणी में स्पष्टता , चरित्र में उज्ज्वलता, हर दिल अजीज , हम सबके प्रिय , आपके विचार हमारे आदर्श हैं । आपकी स्मृति हमारी पूंजी । आपके बताये मार्ग का अनुसरण हमारा लक्ष्य हैं । आपकी दिवंगत आत्मा को चिरशांति प्राप्त हो ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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RIP
Naman
Shat Shat Naman
Naman
Rest in peace
Namna