
शामली | झिंझाना क्षेत्र के गांव खेड़ा भाऊ में बृहस्पतिवार को हुए कीटनाशक विक्रेता मनीष (28) की हत्या का खुलासा पुलिस ने कर दिया है। इस सनसनीखेज मामले ने पूरे क्षेत्र में खलबली मचा दी है।
हत्या के पीछे की वजह समलैंगिक संबंधों का खुलासा होने का डर निकला है। पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है — इनमें से एक 65 वर्षीय बुजुर्ग राजवीर है, जो खुद को समलैंगिक स्वीकार कर चुका है, जबकि दूसरा आरोपी साहिल (30) उसका साथी है।
एसपी एन.पी. सिंह ने शुक्रवार को पुलिस लाइन में प्रेसवार्ता कर बताया कि हत्याकांड की गुत्थी तकनीकी साक्ष्यों और गहन पूछताछ से सुलझाई गई। गिरफ्तार आरोपी राजवीर निवासी मोहल्ला अंसारियान पट्टी जयसिंह ऊन और साहिल निवासी पीपलहेड़ा, थाना तितावी (मुजफ्फरनगर) हैं। दोनों ने पूछताछ में बताया कि वे आपसी सहमति से संबंध में थे। मनीष इस बात को जानता था और उन्हें धमकी देता था कि वह पूरे गांव में यह राज़ खोल देगा —
“मैं सबको बता दूंगा कि तुम दोनों ‘गे’ हो!”
लोकलाज और सामाजिक अपमान के भय से दोनों आरोपियों ने मनीष की हत्या की योजना बनाई।
हत्या की साजिश और वारदात की कहानी
राजवीर ने स्वीकार किया कि मनीष उससे लंबे समय से परिचित था। कीटनाशक बेचने के सिलसिले में मनीष का गांव में आना-जाना रहता था। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी हुई और फिर साहिल के संपर्क में आने के बाद तीनों के बीच जटिल संबंध बनने लगे। मनीष जब साहिल और राजवीर के रिश्ते के बारे में जान गया तो वह उन्हें लगातार ब्लैकमेल और अपमानित करने लगा। राजवीर और साहिल दोनों इस दबाव को सहन नहीं कर पाए और उन्होंने मनीष को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया।
वारदात के दिन (गुरुवार) को दोनों आरोपी बाइक से मनीष के घर पहुंचे, लेकिन वह नहीं मिला। बाद में मनीष खुद उन्हें ढूंढते हुए रामबीर के बाग पहुंचा, जहां साहिल और मनीष के बीच झगड़ा हो गया। पूर्व नियोजित योजना के तहत राजवीर ने मनीष के हाथ पकड़ लिए और साहिल ने उस पर चाकू से वार कर दिए। तीन से चार वार लगने पर मनीष की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद दोनों आरोपी बाइक से फरार हो गए।
बरामदगी और जांच
पुलिस ने दोनों आरोपियों के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त चाकू, मोबाइल फोन, बैग, रजिस्टर और आधार कार्ड बरामद किए हैं। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से रक्त के नमूने और मनीष की बाइक से संबंधित साक्ष्य जुटाए हैं। झिंझाना थाने में मृतक के चाचा रूपसिंह की तहरीर पर धारा 302 (हत्या) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच के बाद अब इस मामले को समलैंगिक संबंधों से जुड़े सामाजिक दबाव और ब्लैकमेलिंग के कोण से देखा जा रहा है। एसपी ने कहा,
“यह मामला बेहद संवेदनशील है। दोनों आरोपियों ने अपने समलैंगिक संबंधों की बात स्वीकार की है। हत्या के पीछे किसी संपत्ति या आर्थिक विवाद की बात सामने नहीं आई है। मामला पूरी तरह व्यक्तिगत और सामाजिक भय से जुड़ा प्रतीत होता है।”
उन्होंने बताया कि आरोपियों के बयान, कॉल डिटेल्स और डिजिटल चैट्स को भी जांच में शामिल किया जा रहा है। यह मामला सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि समलैंगिकता को लेकर समाज में व्याप्त अस्वीकार्यता और शर्म की भावना को भी उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं दर्शाती हैं कि यौन अभिविन्यास के कारण लोग सामाजिक तिरस्कार और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं, जो अंततः अपराध को जन्म देता है। सामाजिक कार्यकर्ता इसे ‘साइलेंट डिस्क्रिमिनेशन’ की परिणति मान रहे हैं — जहां भय, छिपाव और ब्लैकमेल की स्थिति हिंसा में बदल जाती है।
मनीष की पृष्ठभूमि
मनीष पेशे से कीटनाशक दवा विक्रेता था और गांव खेड़ा भाऊ में उसका परिवार रहता है। वह अविवाहित था और स्थानीय किसानों के बीच लोकप्रिय माना जाता था। गांव में उसकी हत्या के बाद वातावरण शोक और हैरानी से भर गया है। ग्रामीणों का कहना है कि वे मनीष को हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति के रूप में जानते थे। यह हत्या एक बार फिर सवाल उठाती है — “क्या हमारे समाज में व्यक्तिगत यौन पहचान को लेकर स्वीकार्यता अब भी अधूरी है? क्या सामाजिक तिरस्कार और ‘लोकलाज’ का भय इतना प्रबल है कि लोग जान लेने तक मजबूर हो जाते हैं?” मनीष की मौत सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि समाज के उन कठोर नजरियों पर भी चोट करती है जो ‘स्वीकार नहीं करेंगे तो सजा देंगे’ की मानसिकता से प्रेरित हैं।
 
     
 
                       
                       
                       
                       
                      








