
मध्य प्रदेश के धार ज़िले की पहाड़ियों पर बसा मांडू न केवल स्थापत्य का चमत्कार है, बल्कि यह भारतीय इतिहास की उन दुर्लभ गाथाओं में से एक है, जहाँ प्रेम और शक्ति, सौंदर्य और संघर्ष, और संस्कृति और विरासत एक साथ जीवित हैं। इसे “मांडवगढ़”, “प्रेम नगरी” और “शादीशुदा पत्थरों का शहर” जैसे नामों से भी जाना जाता है। विंध्याचल की पर्वत श्रृंखलाओं और नर्मदा घाटी की तलहटी में बसा यह नगर किसी चित्रित कल्पना की तरह प्रतीत होता है।
मांडू का उल्लेख 6वीं शताब्दी से मिलने लगता है, लेकिन इसका शिखर काल 15वीं सदी में मालवा सल्तनत के दौरान आया। ग़ियासुद्दीन खिलजी, बाज बहादुर जैसे शासकों ने यहाँ वास्तुशिल्प के बेजोड़ उदाहरणों का निर्माण कराया। यह नगर कभी मालवा साम्राज्य की शान हुआ करता था, तो कभी अफगान शासन का प्रमुख केंद्र। मांडू का हर पत्थर, हर दरवाज़ा और हर झील एक इतिहास समेटे हुए है। यहाँ युद्धों की गूंजें भी हैं और प्रेम की कानाफूसियाँ भी। मांडू का किला, इसकी बावड़ियाँ, मस्जिदें और महल उस सुनहरे काल की गवाही देते हैं जो भारतीय स्थापत्य और संस्कृति की धरोहर बन चुके हैं।
मांडू के प्रमुख दर्शनीय स्थल
1. जहाज़ महल
कपूर और मुंज तालाबों के बीच स्थित यह महल जहाज़ के आकार का लगता है। सुल्तान ग़ियासुद्दीन खिलजी ने इसे अपनी हजारों रानियों के लिए बनवाया था। पानी में झलकता इसका प्रतिबिंब रात्रिकालीन दृश्य को अद्भुत बनाता है।
2. हिंदोला महल
‘हिंदोला’ यानी झूला। इस महल की झुकी हुई दीवारें इसे अद्वितीय बनाती हैं। दरबारी सभाओं के लिए उपयोग में आने वाला यह भवन स्थापत्य की दृष्टि से चमत्कारिक है।
3. रूपमती महल
रूपमती और बाज बहादुर की प्रेमगाथा का यह प्रतीक स्थल नर्मदा दर्शन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ से विंध्याचल की घाटियों और नर्मदा नदी के दृश्य मोहक हैं।
4. बाज बहादुर महल
राजपूत और मुस्लिम स्थापत्य शैली का मिश्रण यह महल बाज बहादुर का निवास था। इसका खुला प्रांगण और दीर्घाएं उस काल की सांगीतिक और काव्यात्मक विरासत की अनुभूति कराते हैं।
5. जामा मस्जिद
दिल्ली की जामा मस्जिद से प्रेरित यह मस्जिद स्थापत्य की भव्यता और धार्मिक गरिमा का प्रतीक है। इसकी विशाल मेहराबें, गुंबद और प्रांगण मांडू की सांस्कृतिक समृद्धि दर्शाते हैं।
6. रेवा कुंड
रूपमती द्वारा नर्मदा नदी का जल ग्रहण करने का यह स्थल धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। यहाँ की शांति और पवित्रता आज भी आगंतुकों को आकर्षित करती है।
मांडू उत्सव: लोक संस्कृति का उत्सव
प्रत्येक वर्ष दिसंबर और जनवरी के बीच मांडू उत्सव का आयोजन होता है। यह न केवल पर्यटन को बढ़ावा देता है बल्कि लोक-संगीत, नृत्य, स्थानीय खानपान, हस्तशिल्प, हॉट एयर बलून, साइकल यात्रा और अन्य गतिविधियों के माध्यम से मांडू की जीवंतता को सामने लाता है। यह उत्सव मांडू को इतिहास से निकालकर वर्तमान में जीवित कर देता है।
कैसे पहुँचे मांडू?
- निकटतम हवाई अड्डा: इंदौर (लगभग 100 किमी)
- रेलवे स्टेशन: इंदौर और रतलाम
- सड़क मार्ग: इंदौर, महेश्वर और धार से टैक्सी और बस की सुविधा उपलब्ध
ठहरने की सुविधा
मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा संचालित रिसॉर्ट्स के अलावा निजी होटल और होमस्टे विकल्प भी मांडू में उपलब्ध हैं। हरियाली, झीलों और ऐतिहासिक इमारतों के बीच रुकना एक अनुभव बन जाता है।
यात्रा का सर्वोत्तम समय
- अक्टूबर से मार्च: सुखद मौसम और हरियाली
- मानसून के बाद (जुलाई-सितंबर): झीलों की भरपूरता और हरियाली मांडू को स्वर्ग बना देती है।
मांडू: पत्थरों में प्रेम की परछाईं
मांडू केवल एक ऐतिहासिक नगरी नहीं, बल्कि एक जीती-जागती कविता है। यहाँ की हवाओं में रानी रूपमती के राग की मिठास है, दीवारों पर बाज बहादुर की तानें गूंजती हैं, और झीलों की सतह पर बीते युग की परछाइयाँ तैरती हैं। यदि आप एक ऐसी जगह की तलाश में हैं जहाँ इतिहास आपको छूता हो और प्रेम आपकी आत्मा को भिगो दे, तो मांडू आपके इंतज़ार में है।