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देहरादून, सहारनपुर और रुड़की के पास स्थित हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) भारत के सबसे युवा और बेहद सक्रिय भूकंपीय फॉल्ट में से एक है, जो बड़े भूकंप की क्षमता रखता है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि इस क्षेत्र में लंबे समय से भूकंप न आने के कारण भूकंपीय ऊर्जा खतरनाक स्तर तक जमा हो रही है।
- हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट: उत्तर भारत में बड़े भूकंपों का प्रमुख केंद्र
- मोहंड–देहरादून–हरिद्वार बेल्ट में जमा हो रही भूकंपीय ऊर्जा
- वाडिया संस्थान की कार्यशाला में शोधार्थियों को दिखाया सक्रिय फॉल्ट
- मोहंड फॉल्ट की उम्र 20 लाख वर्ष, 12 हजार वर्षों में कई बड़े भूकंपों का इतिहास
देहरादून। उत्तराखंड और इसके आसपास के क्षेत्रों में भूकंपीय गतिविधियों को लेकर एक गंभीर वैज्ञानिक चेतावनी सामने आई है। राजधानी दून, सहारनपुर और रुड़की के पास स्थित हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) वह सक्रिय फॉल्ट है, जिसे हिमालय की सबसे युवा और अत्यंत सक्रिय विवर्तनिक प्रणाली का हिस्सा माना जाता है। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला “ल्यूमिनेसेंस डेटिंग एंड इट्स एप्लिकेशन” के पहले दिन शोधार्थियों को इस खतरनाक फाल्ट लाइन का विस्तृत दौरा कराया गया। फील्ड सर्वे का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ भू-विज्ञानी डॉ. परमजीत सिंह ने बताया कि यह फॉल्ट वह क्षेत्र है, जहां उत्तर की ओर बढ़ती भारतीय प्लेट हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों को इंडो-गंगा मैदान की तरफ धकेलती है। इसी रेखा के माध्यम से यह पता चलता है कि पर्वतीय भाग कहाँ समाप्त होता है और मैदानों की शुरुआत कहाँ से होती है।
डॉ. परमजीत के अनुसार इस क्षेत्र में पहाड़ियाँ अचानक ऊँचाई ले लेती हैं, जिससे समझ आता है कि मोर्चा यहां अत्यंत सक्रिय है। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के अधिकांश बड़े भूकंप इसी HFT प्रणाली से जुड़े मिलते हैं और यह फॉल्ट आठ मैग्नीट्यूड या उससे भी अधिक तीव्रता के भूकंप पैदा करने की क्षमता रखता है। लंबे समय से इस क्षेत्र में बड़े भूकंप का अभाव रहा है, जिसके कारण मोहंड–देहरादून–हरिद्वार बेल्ट में खतरनाक मात्रा में भूकंपीय ऊर्जा जमा होने की आशंका जताई जा रही है।
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कार्यशाला में शामिल शोधार्थियों को डाटकाली क्षेत्र की पहाड़ियों की संरचना, भूगर्भीय प्रकृति और डेटिंग की आधुनिक तकनीकों की विस्तृत जानकारी दी गई। फील्ड सर्वे में देशभर के 70 से अधिक युवा शोधार्थी और कई वरिष्ठ भू-विज्ञानी सहभागी रहे। वैज्ञानिकों ने बताया कि HFT को मोहंड फॉल्ट के नाम से भी जाना जाता है और यह लगभग 15 से 20 लाख वर्ष पुराना है। हिमालय के दक्षिण की ओर बढ़ने के शुरुआती दौर में इसका निर्माण हुआ और पिछले 50 हजार से 10 हजार वर्षों में इसका सक्रिय विकास तेजी से बढ़ा। वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि पिछले 10 से 12 हजार वर्षों में इस क्षेत्र में कई बड़े भूकंपों का ऐतिहासिक रिकॉर्ड मौजूद है, जिससे यह क्षेत्र उच्च भूकंपीय जोखिम वाले जोनों में शामिल होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जनसंख्या घनत्व, शहरी विस्तार और अव्यवस्थित निर्माण के कारण देहरादून–रुड़की–सहारनपुर की यह पूरी पट्टी बड़े भूकंप की दशा में अत्यधिक नुकसान झेल सकती है। वैज्ञानिकों ने प्रदेश और केंद्र सरकार को भूकंप-रोधी निर्माण मानकों को सख्ती से लागू करने, संवेदनशील क्षेत्रों में निरंतर भूकंपीय अध्ययन बढ़ाने, और जनजागरूकता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया है।





