
देहरादून/हरिद्वार| उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में चल रही ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना ने एक और सफलता की कहानी रच दी है। हरिद्वार जनपद के नारसन ब्लॉक के सिकंदरपुर मवाल गांव की महिलाओं द्वारा गठित ‘माही स्वयं सहायता समूह’ ने डेयरी व्यवसाय में उल्लेखनीय प्रगति करते हुए आत्मनिर्भरता की नई मिसाल कायम की है। आज यह समूह प्रतिदिन 450 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है और महीने में ₹49,000 तक का शुद्ध लाभ कमा रहा है।
गरीबी से आत्मनिर्भरता तक का सफर
‘माही समूह’ की महिलाएं पहले केवल सीमित मात्रा में दूध उत्पादन कर घरेलू जरूरतें ही पूरा कर पाती थीं। आर्थिक तंगी और जीवन की बुनियादी जरूरतें भी पूरा करना कठिन हो गया था। इस बीच, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की टीम ने इन महिलाओं से संपर्क किया और उन्हें स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के लाभों के बारे में समझाया। इसके बाद ‘माही स्वयं सहायता समूह’ का गठन हुआ, और महिलाओं को ना सिर्फ प्रशिक्षण, बल्कि आर्थिक सहयोग भी प्राप्त हुआ।
योजनाबद्ध वित्तीय सहयोग बना आधार
ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा ‘माही समूह’ को ग्राम मुंडलाना स्थित ‘श्री राधे कृष्णा सीएलएफ’ से जोड़ा गया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इंडियन ओवरसीज बैंक से ₹3 लाख का ऋण दिलाया गया। साथ ही समूह ने स्वयं ₹1 लाख का योगदान दिया और ग्रामोत्थान परियोजना से ₹6 लाख की सहायता प्राप्त की। इस समन्वित प्रयास से समूह को न केवल कार्यशील पूंजी प्राप्त हुई, बल्कि स्थायी ढांचे और संसाधनों के विकास की राह भी खुली।
उत्पादकता और बिक्री में भारी इज़ाफ़ा
आज ‘माही स्वयं सहायता समूह’ की महिलाओं ने अपने व्यवसाय को इतनी कुशलता से संचालित किया है कि दूध उत्पादन प्रतिदिन 250 लीटर से बढ़कर 450 लीटर हो गया है। इस दूध का बड़ा हिस्सा आंचल डेयरी के अलावा रुड़की, मंगलौर और मोहम्मदपुर की पांच स्थानीय डेयरियों में बेचा जा रहा है। इसके अतिरिक्त, मंगलौर में ‘माही डेयरी’ के नाम से एक आउटलेट स्थापित किया गया है। यहाँ से दही, लस्सी, पनीर, मावा और मक्खन जैसे उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है। माही मिल्क बार के माध्यम से रोजाना ₹5,000 से ₹7,000 की बिक्री हो रही है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को सतत् आमदनी का मजबूत स्रोत मिला है।
लाभ का गणित: हर महीने ₹49,000 की आमदनी
वर्तमान में, समूह ₹50 प्रति लीटर की दर से दूध खरीदकर ₹55 प्रति लीटर की दर से बेच रहा है, जिससे प्रतिदिन ₹2,250 का सकल लाभ होता है। कुल मासिक बिक्री से, परिवहन, श्रम और बिजली जैसी लागत घटाने के बाद माही समूह को प्रति माह ₹49,000 का शुद्ध लाभ हो रहा है। यह रकम पहले से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की जीवनशैली में सुधार लाने और बच्चों की शिक्षा व पोषण सुनिश्चित करने में मददगार साबित हो रही है।
महिलाओं का आत्मविश्वास और सम्मान बढ़ा
‘माही समूह’ की सदस्य महिलाएं अब समाज में न सिर्फ आर्थिक रूप से सक्षम हैं, बल्कि सम्मानित और प्रेरणादायी व्यक्तित्व भी बन चुकी हैं। उनका यह सफर यह साबित करता है कि योजनाबद्ध प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और सतत मार्गदर्शन से ग्रामीण महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों को छू सकती हैं।
प्रशासनिक पहल और ग्राम्य विकास समिति की भूमिका
इस उल्लेखनीय सफलता के पीछे हरिद्वार की मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती आकांक्षा कोंडे की दूरदर्शिता और नेतृत्व है, जिन्होंने जिले के सभी विकासखंडों में अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज (फॉर्म और नॉन फॉर्म) तथा सीबीओ लेवल एंटरप्राइजेज की स्थापना को प्राथमिकता दी। साथ ही, उत्तराखंड ग्राम्य विकास समिति और ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के समन्वित प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि योजनाएं केवल कागज़ों तक सीमित न रहकर जमीनी स्तर पर परिणाम दें।