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शास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि झाड़ू में महालक्ष्मी का वास होता है। जब हम झाड़ू लगाते हैं, तो हम केवल कचरा नहीं हटाते, बल्कि हम दरिद्रता रूपी अपशकुन को घर से बाहर निकालते हैं और समृद्धि के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं।
सत्येन्द्र कुमार पाठक
भारतीय संस्कृति में जीवन की हर छोटी वस्तु को किसी न किसी दैवीय शक्ति या गूढ़ दर्शन से जोड़ा गया है। घर की साफ-सफाई में प्रयुक्त होने वाली साधारण सी झाड़ू भी इस दर्शन से अछूती नहीं है। पौराणिक शास्त्रों और वास्तु विज्ञान में इसे केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि साक्षात धन की देवी महालक्ष्मी का गुप्त प्रतीक माना गया है। यह आलेख झाड़ू के आध्यात्मिक और वास्तु सम्मत महत्व को विस्तार से उजागर करता है, यह बताता है कि कैसे इसका उचित सम्मान और उपयोग दरिद्रता को घर से दूर रखकर सुख-समृद्धि और सकारात्मकता को आकर्षित करता है।
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झाड़ू का मूल कार्य घर की गंदगी, धूल और कूड़े को बाहर करना है। भारतीय दर्शन में, यह भौतिक गंदगी दरिद्रता, दुर्भाग्य, रोग और नकारात्मक विचारों का प्रतीक मानी जाती है। जिस घर में पूर्ण और नियमित साफ-सफाई रहती है, वहां सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और धन स्वतः ही आकर्षित होते हैं। इसके विपरीत, जहां गंदगी और अव्यवस्था का वास होता है, वहां दरिद्रता अपनी जड़ें जमा लेती है, जिससे परिवार के सदस्यों को आर्थिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।
शास्त्रों में यह स्पष्ट कहा गया है कि झाड़ू में महालक्ष्मी का वास होता है। जब हम झाड़ू लगाते हैं, तो हम केवल कचरा नहीं हटाते, बल्कि हम दरिद्रता रूपी अपशकुन को घर से बाहर निकालते हैं और समृद्धि के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं। यही कारण है कि झाड़ू का अपमान करना, जैसे उस पर पैर लगना, सीधे महालक्ष्मी का अनादर माना जाता है, जिससे धन की हानि होती है। रोगों को दूर करने वाली देवी शीतला माता अपने एक हाथ में झाड़ू धारण करती हैं। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि स्वच्छता केवल समृद्धि ही नहीं लाती, बल्कि रोगों से मुक्ति दिलाकर हमें स्वस्थ और दीर्घायु भी बनाती है।
यह गहरी मान्यता हमें सिखाती है कि झाड़ू सिर्फ एक निर्जीव वस्तु नहीं है, बल्कि वह पवित्रता की वाहक है जो घर के वातावरण को शुद्ध रखती है और हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है।
वास्तु नियम और सावधानियाँ
- शाम के समय, सूर्यास्त के उपरांत, झाड़ू लगाना सख्त मना है। माना जाता है कि इस समय झाड़ू लगाने से घर की बरकत और धन भी कचरे के साथ बाहर चला जाता है।
- झाड़ू को कभी भी पैर नहीं लगाना चाहिए। यदि भूलवश पैर लग जाए, तो तुरंत हाथ जोड़कर महालक्ष्मी से क्षमा मांगनी चाहिए।
- झाड़ू को लात मारना या उसे अपमानित करना सबसे बड़ा अपशकुन माना जाता है।
- झाड़ू को कभी भी खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। खड़ी झाड़ू घर में कलह, विवाद और तनाव पैदा करती है।
- गौ माता या किसी भी जानवर को झाड़ू से मारकर भगाना महालक्ष्मी का घोर अपमान माना जाता है।
- घर का कोई सदस्य बाहर निकला हो, तो उसके जाने के तुरंत बाद झाड़ू नहीं लगानी चाहिए। थोड़ी देर रुकने के बाद ही सफाई करनी चाहिए।
- झाड़ू को हमेशा नजरों के सामने से हटाकर और छिपाकर रखना चाहिए।
- झाड़ू को रखने की उत्तम दिशा नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) या पश्चिम दिशा है।
- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में झाड़ू या कूड़ेदान रखना नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।
- मुख्य द्वार के ठीक सामने झाड़ू रखने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश बाधित होता है।
- भोजन कक्ष या तिजोरी के पास झाड़ू नहीं रखनी चाहिए।
- झाड़ू को घर के बाहर या छत पर नहीं रखना चाहिए।
- घर के मुख्य दरवाजे के पीछे छोटी झाड़ू टांगना शुभ माना जाता है।
- सींक वाली झाड़ू या प्राकृतिक घास से बनी फूल झाड़ू सबसे शुभ मानी जाती है।
- लोहे या स्टील की झाड़ू का उपयोग वर्जित है।
- ज्यादा पुरानी, टूटी हुई या घिसी हुई झाड़ू घर में नहीं रखनी चाहिए।
- शनिवार को पुरानी झाड़ू बदलकर नई झाड़ू का उपयोग शुभ माना जाता है।
- नया घर लेने या किराए का घर बदलने पर पुरानी झाड़ू नए घर में नहीं ले जानी चाहिए।
झाड़ू का महत्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में स्वच्छता, सम्मान और व्यवस्था कितनी आवश्यक है। झाड़ू सिर्फ धूल साफ नहीं करती, बल्कि हमारे जीवन से दरिद्रता रूपी अंधकार को हटाकर समृद्धि रूपी प्रकाश लाती है। इन वास्तु नियमों का पालन करना न केवल अंधविश्वास नहीं है, बल्कि यह भौतिक और आध्यात्मिक स्वच्छता के प्रति जागरूकता और महालक्ष्मी के प्रति सम्मान को व्यक्त करता है। जब हम झाड़ू का आदर करते हैं, तो हम अनजाने में ही अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख, शांति और स्थायी आर्थिक समृद्धि का आह्वान करते हैं।
स्थान और संपर्क:
करपी, अरवल, बिहार 804419 | मोबाइल: 9472987491








