लम्बा कारावास : भूतकाल से जीवन को जोड़कर भविष्य की सोचना |
October 23, 2025

8 thoughts on “लम्बा कारावास : भूतकाल से जीवन को जोड़कर भविष्य की सोचना

  1. इंसान को वर्तमान में जीना चाहिए और अपने लक्ष्य की ओर आगे बढना चाहिए । बिती बातों को मन मस्तिष्क पर हर वक्त सवार नहीं होने देना चाहिए अन्यथा हमारा वर्तमान भी बिगड जायेगा । यह ठीक है कि हम इतने सक्षम नहीं हैं कि मन मस्तिष्क पर नियंत्रण रख सके लेकिन हमारे में इतना सामर्थ्य अवसर होना चाहिए कि बीते संकट को गले से लगाकर नया कुछ भी न करें । जीवन को आनंदमय जीना हैं तो वर्तमान में जीना होगा जो हो गया उसे बुरे सपने की तरह भुलना होगा ।

  2. राज शेखर जी का आलेख सम सामयिक तो है ही साथ ही यह एक ऐसा विषय है जो मानव मात्र के लिए सदा ही एक गाइड की तरह ज़रूरी भी है l
    हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ, इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में न समय होता है, न धैर्य, न सहिष्णुता l हमेशा जल्दी होती है l हम या तो भूत में जी रहे होते हैं या फिर भविष्य की चिंता में l
    ऐसे में एक रिमाइंडर की तरह यह आलेख अच्छा मार्ग दर्शन कर रही है l
    लेखक राज शेखर जी को साधुवाद l

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