
सुनील कुमार माथुर
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी व अणुव्रत लेखक मंच द्वारा 5 से 7 अक्टूबर 2025 तक कोबा, अहमदाबाद में आयोजित साहित्यकार सम्मेलन युवा पीढ़ी के साहित्यकारों के लिए करियर की प्रेरणा बनेगा। सम्मेलन में विद्वान् मुनिजनों, साध्वियों और साहित्यकारों ने ज्ञान की जो गंगा बहाई, उसने उपस्थित साहित्यकारों और जन समुदाय के मन व मस्तिष्क पर अनूठी छाप छोड़ दी। यह सम्मेलन न केवल यादगार रहा, अपितु रचनात्मकता को नए आयाम दिए। जिन्होंने इस सम्मेलन में भाग लिया, समझो उनका करियर बन गया। बस जरूरत है कि सम्मेलन में प्रस्तुत विचारों को आत्मसात किया जाए। इतना ही नहीं, साहित्य सम्मेलन के अनुभव किताबों से ज्यादा गहराई से सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।
वैसे भी देखा जाए तो हर साहित्यकार लंबे समय से समर्पण भाव से कार्य कर रहा है। यहीं वजह है कि समाज में वात्सल्य भाव होने से सभी समाजों को जोड़कर रखने की क्षमता होती है। भारतीय साहित्य ने सामाजिक समरसता के साथ ही समाज के अंतिम व्यक्ति की पीड़ा को देखा, समझा और फिर उसकी पीड़ा को उजागर कर उसे न्याय दिलाने का प्रयास किया।
साहित्यकारों के त्याग, समर्पण और सेवाभावी लेखनी व संस्कार आज भी समाज में झलकते हैं। इन्हीं संस्कारों और विचारों से यह साहित्यकार लंबे समय से समाज की सेवा के लिए कार्य कर रहे हैं। साहित्यकारों का जो योगदान समय-समय पर राष्ट्र को मिला और मिल रहा है, उसे भुलाया नहीं जा सकता।
कोबा, अहमदाबाद में आयोजित साहित्यकार सम्मेलन ने जीवन में जो छाप छोड़ी है, वह अनुकरणीय और सराहनीय है। राज्य व केंद्र सरकारों को चाहिए कि वे ऐसे साहित्यकार सम्मेलनों में साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, नकद राशि, श्रीफल देकर एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित करें, ताकि साहित्यकार अपनी लेखनी को राष्ट्र के नव निर्माण के लिए और पैनी कर सकें और आर्थिक सहयोग मिलने से वे सहज रूप से सम्मेलन में भागीदारी निभा सकें।
सुनील कुमार माथुर
सदस्य अणुव्रत लेखक मंच, (स्वतंत्र लेखक व पत्रकार), 39/4 पी डब्ल्यू डी कालोनी, जोधपुर, राजस्थान
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