
महोदय,
शिक्षण संस्थान शिक्षा के पावन मंदिर कहलाते हैं और शिक्षक बच्चों का आदर्श भविष्य गढ़ने वाले माने जाते हैं, लेकिन जब इन पवित्र संस्थानों में शर्मनाक घटनाएं घटित होने लगती हैं, तो हृदय को गहरा आघात पहुंचता है। 11 जुलाई 2025 के समाचार पत्रों में यह खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहपुरा क्षेत्र स्थित एक निजी विद्यालय में कक्षा 5वीं से 10वीं तक की छात्राओं के कपड़े उतरवाकर यह जांच की गई कि किस-किस छात्रा को पीरियड्स हुआ है। जब छात्राओं ने रोते हुए इस अमानवीय घटना की जानकारी परिजनों को दी, तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रिंसिपल और दो महिला अटेंडेंट को गिरफ्तार कर लिया तथा स्कूल प्रबंधन के खिलाफ पाक्सो एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया।
शिक्षण संस्थान, जहां बच्चों को आदर्श संस्कार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाती है, वहां इस प्रकार की घटना पूरे शिक्षा जगत को कलंकित करने वाली है। ऐसी संस्थाओं की मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द की जानी चाहिए और दोषियों को कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और छात्राएं भयमुक्त होकर अध्ययन कर सकें। साथ ही, मैं समाचार पत्रों के प्रधान संपादकों और प्रकाशक मंडलों से आग्रह करता हूं कि वे अपने-अपने पत्रों में पाठकों के पत्र, सम्पादक के नाम पत्र, जन कलम, आपके पत्र, जनवाणी, लोकमंच, सम्पादक की डाक, ये क्या कहते हैं, चिट्ठी आई आदि स्तंभ नियमित रूप से आरंभ करें और उसमें प्रतिदिन अधिक से अधिक पाठकीय प्रतिक्रियाएं प्रकाशित करें।
अक्सर संवाददाता कई समाचारों को निजी लाभ के लिए दबा देते हैं, जिन्हें सजग पाठक सामने लाने का कार्य करते हैं। पाठकों की दृष्टि बहुत पैनी होती है। अतः उनके नाम व पते के साथ उनकी प्रतिक्रियाएं प्रकाशित की जानी चाहिए, क्योंकि वे भी राष्ट्र के सजग प्रहरी हैं और जनता, प्रशासन तथा सरकार के बीच एक मजबूत कड़ी का कार्य करते हैं। आशा है कि सम्पादक मंडल इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करेगा और पाठकीय पत्रों को प्राथमिकता के साथ, निष्पक्ष रूप से प्रकाशित करेगा।
सादर,
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार
जोधपुर, राजस्थान