समाज का सजग प्रहरी व निष्पक्ष एवं निर्भीक पत्रकार ‘स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट’
समाज का सजग प्रहरी व निष्पक्ष एवं निर्भीक पत्रकार ‘स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट’, 8 जून 1961 का दिन मेरे लिए भी बहुत मायने रखता है। क्योंकि इस दिन मेरे पिताजी का जन्म हुआ था। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट का 8 जून को जन्म दिन हैं इस पावन दिवस पर उनके चरणों में शत शत नमनः स्व0 भट्ट एक कुशल शिक्षक व पत्रकार दोनों थे। यही वजह हैं कि इन दोनों पदों पर रहकर उन्होंने समाज के एक सजग प्रहरी के रूप में अपनी महत्ती भूमिका अदा की जो सोने में सुहागा ही कहा जा सकता हैं। उन्होंने अपनी लेखनी के जरिए समाज व राष्ट् को एक नई दशा व दिशा दी। वहीं राष्ट् की मुख्यधारा से कटे लोगों को सही राह दिखाकर राष्ट् की मुख्यधारा से जोडा एवं उन्हें राष्ट् का एक आदर्श नागरिक बनाने का नेक कार्य किया। वे एक आदर्श शिक्षक होने के साथ ही साथ आदर्श पत्रकार व सच्चे समाज सुधारक थे।
उनके पास ज्ञान का अथाह भण्डार था जिसे उन्होंने अपनी लेखनी के जरिए जन जन तक पहुंचाया। आर्थिक संकट झेलने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नही हारी। चूंकि वे आजाद भारत के आजाद नागरिक, शिक्षक व पत्रकार थे। शोषित व पीडित की सेवा करने के लिए वे सदैव अग्रिम पंक्ति में खडे रहते थे। वे यह मानकर चलते थे कि जीवन में उतार व चढाव आते ही रहते है इसलिए व्यक्ति को कभी भी घबराना नहीं चाहिए और सदैव सकारात्मक सोच के साथ आगें बढते रहना चाहिए और संकट आता हैं तो वह हमेशा हमें कुछ न कुछ नई बात सीखा जाता हैं और जो व्यक्ति हिम्मत रखकर संकट की घडी से एक बार निकल जाता हैं वह सदा के लिए आगे बढ जाता हैं
ऐसा ही कर दिखाया हमारे पत्रकार स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने। शिक्षक व पत्रकार स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने अपने जीवन काल में कभी हिम्मत नहीं हारी उन्होंने कठिन परिस्थितियों का भी दृढता के साथ सामना कर युवाओं के समक्ष एक आदर्श मिशाल रखी। वे एक आदर्श शिक्षक थे और पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ बच्चों को पढाया। उन्होंने विधार्थियों को न केवल किताबी ज्ञान ही दिया वरन् व्यवहारिक ज्ञान देकर विधार्थियों को आदर्श संस्कार दिये। वे शिक्षक होने के साथ ही साथ एक आदर्श मार्गदर्शक व पथप्रदर्शक थे।
उनकी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं था। शैक्षणिक कार्य के अलावा उन्होंने पत्रकारिता भी की वे एक आदर्श, निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकार थे। उनकी लेखनी में दम्भ था। वे सदा सत्य लिखा करते थे। यही वजह हैं कि उनके लिखे लेखों व सम्पादकीय को पाठक गौर से पढा करते थे चूंकि वे सटीक व सारगर्भित आलेख व संपादकीय लिखा करते थे। स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने जन समस्याओं को उजागर करने में महती भूमिका निभाई। यही वजह है कि देवभूमि समाचार पत्र ने पाठकों, प्रशासन व सरकार के बीच में सदैव एक रचनात्मक पूल की भूमिका निभाई।
8 जून का दिन मेरे लिए भी बहुत मायने रखता है। क्योंकि इस दिन (8 जून 1961) मेरे पिताजी का जन्म हुआ था। ईश्वर की कृपा और पित्रों की कृपा ही इसे कहा जा सकता है कि 8 जून 2023 को सुबह 2 बजकर 12 मिनट में मेरी पुत्री का जन्म हुआ है।
-सम्पादक
स्व0 भट्ट ने सदैव नये रचनाकारों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया और हर रचनाकार को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने हर रचनाकार की कलम को धार दी और अपने पत्र में प्रमुखता के साथ स्थान देकर उनका मनोबल बढाया। स्व0 भट्ट पीत पत्रकारिता से सदा दूर रहें उनकी पत्रकारिता मिशनरी पत्रकारिता थी। वे तो स्वंय अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, तानाशाही व जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अग्रिम पंक्ति में हर वक्त खडे रहते थे। यहीं वजह है कि हर कोई देवभूमि समाचार पत्र का दीवाना था और आज भी हैं स्व0 चन्द्र शेखर भट्ट ने मिशनरी पत्रकारिता कर समाज के सामने एक आदर्श व अनूठी मिसाल कायम की है।
उनके वक्त में आज की तरह की इतनी सारी सुविधाएं मीडिया के पास नहीं थी फिर भी छोटे व मंझोले समाचार पत्र के जरिये समाज सेवा का जज्बा उनमें कूट – कूट कर भरा था। अपने जीवन काल में उन्होंने अनेक कष्ट झेले लेकिन अपने चेहरे पर कभी भी उस पीडा या दुःख को झलकने नहीं दिया। आर्थिक दृष्टि से कमजोर होने के बाद भी वे कभी किसी के आगे झुकें नही, टूटे नहीं व बिके नहीं चूंकि समाज व राष्ट्र की सेवा करना ही उनका मूल उद्देश्य रहा यही वजह है कि आज देवभूमि समाचार पत्र एक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों की श्रेणी में गिना जाता हैं।
आठ जून को उनके जन्म दिन पर हम सभी रचनाकार उन्हें नमन् करते हैं और यहीं प्रार्थना करते हैं कि वे परलोक में जहां भी हो अपना आशीर्वाद हम पर बनायें रखें व हमें सदैव मार्गदर्शन देते रहें ताकि सकारात्मक सोच के साथ हम अपने मिशन में आगे बढते रहें। वे शिक्षकों व पत्रकारों के मित्र, गुरू, मार्गदर्शक, सलाहकार व मददगार थे। स्व0 भट्ट का जीवन स्वच्छ व निर्मल था। समझों गंगा जैसे पवित्र थे। वाणी में हरदम राम नाम, सेवा का भाव हृदय में था, परिवार के वट वृक्ष को संस्कार के जल से सींचा था। आपका जीवन हमेशा सभी को प्रेरित करता था।
उन्होंने सेवा और सादगी के आदर्श को अपने जीवन में साकार कर दिखाया। वे सरल स्वभाव के धनी थे सादा जीवन और उच्च विचारों को अपना कर उन्होंने सादगी की मिसाल कायम की। वे एक तरह से आध्यात्मिक गुरू थे यहीं वजह है कि आपके अमिट सेवा कार्य युगों – युगों तक उजियारा करेंगे। 15 अगस्त 2016 का दिन वह कुसमय था जब यह महान विभूति इस नश्वर संसार को छोड़ कर परलोक सिधार गये। अपने समस्त सेवा भाव, भक्ति, अध्यात्म, मिलनसार व मददगार व्यक्तित्व की छाप हमारे दिलों पर छोड़ कर सदा – सदा के लिए परमपिता परमेश्वर की दिव्य ज्योति में विलीन हो गये।
नियति ने असमय ही आपकों हम से छीन लिया। आपकी सहृदयता, धर्मपरायणता एवं चारित्रिक विशेषताएं चिर स्मरणीय एवं प्रेरणादायी हैं। वे हमारे प्रेरणा के स्त्रोत रहे हैं। वे स्वंय में एक आन्दोलन थे। आदमीयत के प्रतीक थे और थे एक कर्मयोगी भी। शिक्षा, पत्रकारिता व संस्कारों के साथ साहित्य में उनकी गहरी रूचि थी। वे अत्यंत सरल स्वभाव, धार्मिक प्रवृत्ति, सिध्दांतों के प्रति समर्पित व्यक्ति थे। दृढ मनोबल व कर्मठ व्यक्तित्व ही उनकी एक स्थाई पहचान है।
वे सम्पूर्ण मानव जाति के संरक्षक, समाज सेवी, निर्भीक, विचारवान व सत्य एवं अहिंसा के प्रबल प्रहरी थे। जाति, धर्म, ऊंच – नीच और भेदभाव से उपर उठकर समाज को नैतिकता के उच्च विचार प्रदान किये। संक्षेप में वे एक कर्मयोगी, क्रांति के पुरोधा, शांति के दूत, पथप्रदर्शक और संरक्षक थे।
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