कुमांऊनी रचना : सबूँकैं नई सालकिं बधाई
कुमांऊनी रचना : सबूँकैं नई सालकिं बधाई, खुशियोंक सबूँक भरिं जो भकार, स्वैणा सबूंक हैंजो आब साकार। खेतीबाड़ी हैजो खूब हरिया सार, अन्न फलफूल दूध दैक हैजो बहार। पहाड़क ठंडी हाव मिठो पाणिक, सदा सदा सबूंकै लागि रौ नराई।। सन् चौबींसकिं हैगे आब विदाई। #भुवन बिष्ट, मौना, रानीखेत (उत्तराखंड )
मानवता फैलों बरकत ऐजो निं हो रिष।
दैण हैजो नई साल सन् द्वीहजार पच्चीस।
सन् चौबींसकिं हैगे आब विदाई।
यौ नई सालकिं सबूंकैं बधाई।।
खुशियोंक सबूँक भरिं जो भकार,
स्वैणा सबूंक हैंजो आब साकार।
खेतीबाड़ी हैजो खूब हरिया सार,
अन्न फलफूल दूध दैक हैजो बहार।
पहाड़क ठंडी हाव मिठो पाणिक,
सदा सदा सबूंकै लागि रौ नराई।।
सन् चौबींसकिं हैगे आब विदाई।
यौ नई सालकिं सबूंकैं बधाई।।
गौं -घर शहर सबैं जाग देश विदेश,
मिटजो सब जाग बटि यौ राग द्वेष।
हे मानवता सदा खूब तू दैण हैजे,
सबूंक घर में मन मन में पैलिं ऐजे।
भौल बाट भलिं सोच नई उमंग ऐजो,
मानवता प्रेम भाव सबूंक संग हैजो।
द्वी हजार पच्चीस हैजो यौ सुखदाई,
सदा रया सबै बणीं आब भाई भाई।
सन् चौबींसकिं हैगे आब विदाई।
यौ नई सालकिं सबूंकैं बधाई।।
सबूंआब सबैं बिगड़ी काम हैजो,
भारतक सारे दुणीं में नाम हैजो।
कभैं कथैं निं हो आब अत्याचार,
सुख समृद्धिक खूब खूलिं जो द्वार।
सबूंक मनकिं पीड़ आब कम हैजो,
दूर हैजो सारे दुणिं बै अलाई-बलाई।
सन् चौबींसकिं हैगे आब विदाई।
यौ नई सालकिं सबूंकैं बधाई।।
दुणिं बै रोग दोष सब आब दूर हैजो,
खेती बाड़ी उपज सब भरपूर हैजो।
गौ गौनूंमें विकासकिं भरमार हैजो,
सबूंक नयी सालमें जै जयकार हैजो।
नयी साल दैण हैजो द्वी हजार पच्चीस,
मानवता फैलों बरकत ऐजो निं हो रिष।
भौल बुलाण भौल बाट भलिं मति ऐजो,
सबूंक आशा पूरिं हैजो जो लै छूंँ लगाई।
सन् चौबींसकिं हैगे आब विदाई।
यौ नई सालकिं सबूंकैं बधाई।।