ॠतुओं का राजा बसंत पंचमी
सुनील कुमार माथुर
हमारे देश में सबसे ज्यादा ऋतुएं होती हैं और बसंत इन ऋतुओं का राजा हैं । इस दिन से प्रकृति के सौन्दर्य में निखार दिखने लगता हैं । वृक्षों के पुराने पते झङ जाते हैं और उनमें नये – नयें गुलाबी रंग के पल्लव मन को मुग्ध करतें है । इस दिन को बुध्दि , ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा आराधना की जाती हैं । बसंत पंचमी का उत्सव ऋतु परिवर्तन का त्यौहार भी कहा जाता हैं ।
बसंत पंचमी का दिन विधार्थियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन हैं । यह मां सरस्वती की पूजा का दिन हैं जो विधा की देवी हैं इसलिए यह दिन विधार्थियों के लिए बहुत मायने रखता हैं । मां सरस्वती को विधा – बुध्दि, कला और संगीत की देवी माना जाता हैं । बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा इसलिए भी कहा जाता हैं क्योंकि इसके आते ही मौसम खुशनुमा हो जाता हैं ।
ठंड का असर कम होने लगता हैं । इस दिन पीला रंग आकर्षक का केन्द्र होता हैं । लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं यह रंग मां सरस्वती और सरसों की फसलों को समर्पित होता हैं । फल , फूल और फसलें खिल उठते है । पीले लहराते हुए सरसों के खेत से बसंतोत्सव की शोभा बढ जाती हैं । प्रकृति और समस्त जीव – जन्तुओं में नवजीवन का संचार होता हैं इस अवसर पर लोग पतंगे उडाकर भी उत्सव का आनंद लैते हैं ।
बसंत पंचमी का उत्सव बडी ही सादगी के साथ श्रद्धा के साथ मनाया जाता है । यह दिन शिक्षा को समर्पित होता हैं । बसंत पंचमी पर हमारी फसलें गेहूं, चना , जौ आदि तैयार हो जाती हैं इसलिए इस खुशी में हम यह दिन मनाते हैं । ऋतुराज बसंत का जीवन में बडा ही महत्व है । इसकी छठा निहार कर जड चेतन सभी में नवजीवन का संचार होता हैं । सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगे दौडने लगती हैं ।
स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु बडी ही उपयुक्त है । इस ऋतु में प्रातःकाल भ्रमण करने से मन में प्रसन्नता और देह में स्फूर्ति आती हैं । बसंत नव सृजन व जीवन राग का सांस्कृतिक पर्व हैं । इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था और वह विधा की देवी हैं । इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा का भी विधान हैं । इस कारण से यह विधार्थियों के लिए बहुत ही शुभ दिन हैं इस दिन मां सरस्वती को पीले फूल चढाये जातें है ।
बसंत पंचमी का पीला रंग उत्साह और उल्लास का रंग माना गया हैं । माना जाता हैं कि बसंत ॠतु में धरती की उर्वरा शक्ति में वृध्दि होती है । सरसों की फसल से धरती पीली नजर आती हैं जो लोगों को आनंद प्रदान करती हैं । इसीलिए बसंत ऋतु श्रेष्ठ मानी जाती हैं । पीले रंग के प्रयोग से दिमाग की सक्रियता बढती हैं । इसीलिए इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व माना गया हैं । यह एक महान वैदिक पर्व हैं जिसमें भगवती सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती हैं । यह प्रकृति से जुडा हुआ पर्व भी हैं ।
बसंत पंचमी वाणी का पर्व हैं । यौवन जीवन का बसंत हैं । ज्ञान व वाणी की अधिष्ठात्री मां सरस्वती का प्राकट्रय दिवस देश भर में श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता हैं । प्रकृति के उत्सव पर संगीत साधना से जुडे साधक वीणा वादिनी के साथ वाद्ययंत्रों का पूजन करते हैं । मंदिरों में वासंति पोशाकों से श्रृंगारित देव प्रतिमाओं को पीले चावल ( बीणज ) , केसर की खीर और पीले फलों का भोग लगाया जाता हैं ।
इस दिन हम अपने आप को बहुत ही आनंदित व ऊर्जावान महसूस करते हैं । चूंकि बसंत पंचमी पर प्रकृति अपने पूरे यौवन पर होती हैं । बसंत माह बहुत ही शांत व संतुलित होता हैं । यह वह ऋतु हैं जो वीरों में वीरता का भाव भर देती हैं । नई चेतना जागृत करने के लिए प्रेरित करती हैं । बसंत ऋतु में प्रकृति अपना अपूर्व सौन्दर्य बिखेरतीं है । इस ऋतु को ऋतुराज के नाम से भी जाना जाता हैं ।
इसी वजह से बसंत पंचमी के दिन लडकिये व महिलाएं पीले वस्त्र पहनना पसंद करते हैं । पीले रंग के वस्त्र पहनने से दिमाग़ का सोचने समझने वाला हिस्सा आधिक सक्रिय हो जाता हैं जो मनुष्य के अंदर ऊर्जा पैदा करता हैं । यह रंग इंसान के अंदर खुशी और उमंग भी पैदा करता हैं । हमें इस दिन के संदेश को जीवन में आत्मसात कर विधा एवं बुध्दि से जुडे कार्य करने चाहिए।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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