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आपके विचार

पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं ‘बच्चे’

पुस्तकें पढने की आदत को दैनिक जीवन से जोडना चाहिए : डाॅ गुलेरी

सुनील कुमार माथुर

तकनीकी के इस दौर में हमारे पास बहुत-सी सूचनाएं हैं। बहुत-सा ज्ञान है, पर हम जागरूक नहीं है। उस ज्ञान को हम व्यवहार में नहीं ला रहे हैं। ये उद् गार ‘बालप्रहरी’ तथा बालसाहित्य संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा ‘पुस्तक व बच्चों के बीच बढ़ती दूरी’ विषय पर आयोजित आन लाइन सेमिनार में मुख्य अतिथि के पद से बोलते हुए साहित्यकार पंकज चतुर्वेदी ने व्यक्त किये । उन्होंने कहा शिक्षा केवल अंक पाने के लिए या नौकरी के लिए नहीं अपितु ज्ञान व जागरूकता के लिए होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा, ”आज से लगभग 200 वर्ष पूर्व तक पुस्तकें नहीं थी परंतु हमारे पूर्वजों को पूरा ज्ञान था। उनके अनुसार पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती हैं, वे हमें कहीं न कहीं अंदर से झंकोरती हैं । शिक्षक व अभिभावक बतौर हमें पठन-पाठन की आदत को विकसित करने की जरूरत है।”

सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए डॉ. प्रत्यूष गुलेरी ने कहा कि ”आज के दौर में हम सब बच्चों को दोष देते हैं कि बच्चे पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं। इस सबके लिए बच्चे दोषी नहीं हैं । एक साहित्यकार, शिक्षक तथा अभिभावक हम बड़े लोग स्वयं भी पुस्तकों से दूर होते जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि आज हम सब लोग पुस्तक पढ़ने के लिए समय नहीं होने की बात करते हैं दूसरी ओर हम लोग मोबाइल पर घंटों तक चिपके रहते हैं ।” उन्होंने कहा कि ”पुस्तक पढ़ने की आदत को हमें अपने दैनिक जीवन में जोड़ना होगा।”

उत्तराखंड के वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ. नंदकिशोर हटवाल ने कहा कि ”पुस्तकें केवल कागज पर छपने वाली पुस्तकें नहीं हैं। आज पुस्तकें अलग-अलग माध्यमों से हम तक पहुँच रही हैं।” उन्होंने कहा कि ”आज नेट या मोबाइल को पुस्तकों से दूरी बनाए रखने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। यदि बच्चे मोबाइल या टेबलेट पर कहानी या कविता आदि की पुस्तकें पढ़ रहे हैं तो इसे आज के दौर में स्वीकार किया जाना चाहिए। परंतु बच्चे नेट पर क्या देख रहे हैं, इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।”

छात्रा अर्जरागिनी सारस्वत तथा नम्रता भमोरे ने कहा कि ”स्कूल के भारी बस्ते, होमवर्क तथा ट्यूशन में व्यस्त रहने के कारण बच्चों को न तो खेलने का अवसर मिल पाता है और न ही पाठ्यक्रम के बाहर की पुस्तकें तथा पत्रिकाएं पढ़़ने का अवसर मिल पाता है।” प्रारंभ में ‘बालप्रहरी’ के संपादक उदय किरौला ने सभी का स्वागत करते हुए ‘बालप्रहरी’ तथा ‘बालप्रहरी’ द्वारा आयोजित ऑनलाइन कार्यशालाओं की जानकारी दी।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

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33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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