
(राज शेखर भट्ट)
उत्तराखंड में हाल ही में सामने आए केशव सिंह थलवाल मामले ने राज्य की पुलिस व्यवस्था और मानवाधिकार संरक्षण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। केशव ने आरोप लगाया है कि 9 मई 2025 को चंबा से मसूरी जाते समय दो अज्ञात व्यक्तियों ने उन्हें जबरन कार में बैठाया और टिहरी जिले के कोटी कॉलोनी पुलिस चौकी ले जाकर पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। केशव के मुताबिक, उन्हें पेशाब पीने, जूते धोने और अन्य अपमानजनक कृत्यों के लिए मजबूर किया गया।
उन्होंने बताया कि इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राज्यभर में आक्रोश फैल गया। विपक्षी दलों ने मामले की तत्काल न्यायिक जांच की मांग की है। पुलिस महानिदेशक राजीव स्वरूप ने मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए इसे टिहरी से बाहर के जिले में स्थानांतरित कर दिया है। इसके साथ ही, दो उपनिरीक्षकों को निलंबित कर 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
हालांकि, टिहरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने केशव के आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि पहले भी केशव के खिलाफ उनकी मां और बहन ने शारीरिक हमला और आग लगाने की कोशिश के आरोप लगाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि केशव की कई शिकायतें पहले भी झूठी पाई गई हैं। इस घटना ने उत्तराखंड में पुलिस कस्टडी में मानवाधिकार उल्लंघन और पुलिसकर्मियों की जवाबदेही को लेकर गंभीर बहस शुरू कर दी है।
नागरिक समाज और मानवाधिकार संगठनों ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है। फिलहाल किसी गिरफ्तारी की खबर नहीं है, लेकिन जांच जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला राज्य की पुलिस व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है और भविष्य में पुलिस कस्टडी में मानवाधिकार उल्लंघन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की दिशा में मार्गदर्शक बन सकता है।
आपकी आवाज़, हमारी आवाज…
केशव थलवाल मामले ने स्पष्ट कर दिया है कि पुलिस कस्टडी में मानवाधिकारों की सुरक्षा अब केवल कानूनी दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। वीडियो और मीडिया में उजागर हुई इस घटना ने राज्य की पुलिस प्रशासन की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। स्वतंत्र जांच और न्यायपालिका की सक्रियता ही ऐसे मामलों में जनता का विश्वास बनाए रख सकती है। इस मामले का निष्पक्ष समाधान न केवल पीड़ित के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण है।
‘‘देवभूमि समाचार’’