साहित्य लहर
कविता : इन अंकल का क्या कहना

सुनील कुमार माथुर
इन अंकल का क्या कहना
ये कवि , लेखक और स्वतंत्र पत्रकार हैं
नियम कायदों के पक्के हैं
झूठ से इन्हें सख्त नफरत है
रोज सवेरे पांच बजे उठते हैं
स्नान कर पूजा पाठ करते है
चाय की चुस्कियों के संग
हर रोज अखबार पढते है
व्हाटसएप व मेल देखने के बाद
वे हर रोज मंदिर जाते है
हर रोज गाय को रोटी देकर
अपना धर्म कर्म निभा रहे है
इन अंकल का क्या कहना
हर रोज आनलाईन व आफलाइन
धडल्ले से लेख , कविता और साक्षात्कार लिखते है
इन अंकल का क्या कहना
निस्वार्थ भाव से हर रोज
नन्हें नन्हें बच्चों की फोटों
पत्र – पत्रिकाओ में छपवाते है और
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक रहते है
मेरे इन अंकल का क्या कहना
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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Nice poem
ये अंकल बहुत अचे है ,👍
Nice
Nice