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बिल्हौर ब्लॉक की गढ़ी बिहारीपुर गोशाला में निरीक्षण के दौरान 71 गोवंश गायब मिले और चारे की खपत में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी गई। अनियमितताओं के चलते ग्राम पंचायत सचिव निलंबित किए गए और आगे कड़ी कार्रवाई की तैयारी है।
- 71 गायें गायब, बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया
- बिल्हौर की गढ़ी बिहारीपुर गोशाला में भारी अनियमितताएं
- चारा घोटाले के संकेत, सचिव निलंबित
- गायों की बदहाल स्थिति, दो मृत मिलीं
कानपुर | कानपुर के बिल्हौर ब्लॉक क्षेत्र स्थित गढ़ी बिहारीपुर गोशाला में हुए निरीक्षण ने प्रबंधन की गंभीर खामियों और बड़े पैमाने पर संभावित घोटाले का पर्दाफाश कर दिया है। शुक्रवार को एसडीएम बिल्हौर डॉ. संजीव दीक्षित और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आईडीएन चतुर्वेदी द्वारा संयुक्त रूप से किए गए निरीक्षण में गोशाला संचालन से जुड़े कई चिंताजनक तथ्य सामने आए। गोशाला के रजिस्टर में कुल 230 गोवंश दर्ज थे, लेकिन मौके पर अधिकारियों को केवल 159 ही दिखाई दिए। इस प्रकार 71 गोवंशों की अनुपस्थिति ने चारा खपत और प्रबंधन पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए। इसके बावजूद रजिस्टर में चारे की खपत 230 गोवंशों के आधार पर दर्शाई गई थी, जिससे बड़ा फर्जीवाड़ा और चारा घोटाले की आशंका और मजबूत हो गई।
निरीक्षण के दौरान आठ में से केवल तीन गोपालक ही अपनी ड्यूटी पर मौजूद मिले। बाकी कर्मचारी ड्यूटी से नदारद थे और गायब गोवंशों के संबंध में कोई भी संतोषजनक जवाब देने में सक्षम नहीं थे। अधिकारियों ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए तुरंत कार्रवाई की सिफारिश की। प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर ग्राम पंचायत सचिव समीर कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और ककवन ब्लॉक के बीडीओ से स्पष्टीकरण मांगा गया है। गोशाला की भौतिक स्थिति भी बेहद दयनीय पाई गई। भूसा और खली के गोदाम खाली मिले, चारदीवारी कई स्थानों पर टूटी हुई थी, और चोकर भंडारण स्थल पर भारी गंदगी पाई गई।
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साफ-सफाई और देखरेख की व्यवस्थाओं का लगभग अभाव दिखा। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत अधिकारी महीने में केवल एक-दो बार ही गोशाला का निरीक्षण करते थे, जिसके कारण हालात लगातार बिगड़ते चले गए। टूटी दीवारों के कारण जानवर खेतों में भागकर आसपास की फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा रहे थे। निरीक्षण के दौरान दो गोवंश मृत अवस्था में पाए गए, जिनका निस्तारण मौके पर ही अधिकारियों द्वारा कराया गया। ग्रामीणों ने पहले भी कई बार शिकायतें की थीं कि गोशाला प्रबंधन न तो टूटी दीवारें ठीक कराता है और न ही गायों की नियमित देखरेख करता है।
एसडीएम ने स्पष्ट किया कि निरीक्षण में सामने आई अनियमितताएं गंभीर भ्रष्टाचार और लापरवाही की ओर इशारा करती हैं। चारे की खपत और गोवंशों की वास्तविक संख्या में बड़ा अंतर इस घोटाले के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि पूरी रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई है और आगामी दिनों में और कठोर कार्रवाई संभव है। यह पूरा प्रकरण एक बार फिर से ग्राम पंचायत स्तर पर गोशालाओं के संचालन में व्याप्त खामियों को उजागर करता है, जिससे न सिर्फ सरकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं बल्कि गोवंश संरक्षण के प्रयास भी असफल होते दिखाई देते हैं।








