जीव दया जिंदाबाद

सुनील कुमार माथुर
शर्मा जी के मकान के सामने पडे खाली प्लाट में एक गाय का बछडा घुस गया । वहां उगे हरे घास को चरने के बाद वह बाहर आना चाहा तो बाहर न आ सका । चूंकि प्लॉट की चार दिवारी के बीच एक लौहे का दरवाज़ा लगा हुआ था और वह टूटा हुआ था जिसके कारण वह बछडा निकल नही़ पा रहा था ।
वह पिछले तीन दिन से उस चार दिवारी में कैद था । खाने को उसे हरा चारा मिल जाता था और आते जाते राहगीर उसे रोटी डाल देते थे । लेकिन किसी को भी यह पता नहीं था कि बछड़ा यहां से निकल पाने में असमर्थ है । लेकिन उस बडे की आवाज से शर्मा जी की पत्नी परेशान थी । वह दख रही थी कि इतनी भीषण गर्मी में यह पिछले तीन दिन से पानी के अभाव में कराह रहा है ।
उसने यह बात शर्मा जी को बताई । शर्मा जी ने उस टूटे दरवाजे को काफी हिलाया । उसके आसपास की मिट्टी हटाई लेकिन दरवाजा तनिक भी न हिला । तभी उधर से साईकिल चलाते हुए गर्वित , अशोक , चेतन व गोपाल निकले और उन्होंने भी बडे को बाहर निकालने का प्रयास किया लेकिन सभी प्रयास विफल रहे ।
तभी शर्मा जी की निगाह एक कारीगर पर पडी और वे उसके पास गये और हथौडा मांग लाये और उस टूटे हुए दरवाज़े पर दो चार वार किये कि दरवाजा हिला । जैसे ही दरवाजा तिरछा हुआ कि गाय का बछडा फुदक कर बाहर आ गया । तभी बच्चों के मुख से एक ही आवाज निकली जीवदया जिंदाबाद और सभी बच्चें अपनी अपनी साईकल लेकर चल पडे और शर्मा जी की पत्नी को राहत मिली कि चलों बछडा आजाद हुआ।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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काफ़ी अच्छी कहानीहै।